बहरैन, अत्याचार, आले ख़लीफ़ा, शिया
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बहरैन में ध्वस्त मस्जिदों की जगह, क्लब बनाए जाने के षड़यंत्र।
बहरैन में आले ख़लीफ़ा सरकार गिराई गई मस्जिदों की ज़मीनों पर मनोरंजन स्थल बनाए जाने के षड़यंत्र पर काम कर रही है।
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बहरैनी जवान की लाश की मांग, जवाब में आँसू गैस से हमला।
बहरैन की जनता नें एक बार फिर विरोध प्रदर्शन करके आले ख़लीफ़ा की डिक्टेटर सरकार को हटाए जाने की मांग की।
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बहरैन में ख़लीफ़ाई अत्याचार का सिलसिला जारी।
बहरैनी नागरिकों ने एक बार फिर आले ख़लीफ़ा शासन की तानाशाही और अत्याचारपूर्ण नीतियों के विरुद्ध प्रदर्शन किए हैं।
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बहरैन का राजनीतिक क़ैदी मौत के दहाने पर।
बहरैन के मानवाधिकार केन्द्र नें कुछ राजनीतिक क़ैदियों की मौत की आशंका व्यक्त की है।
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बहरैन में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों का सिलसिला जारी रखेगा।
बहरैन के एक वरिष्ठ नेता आयतुल्लाह शेख ईसा कासिम ने कहा है कि इस देश की जनता के अधिकारों का सम्मान राष्ट्रीय सहमति की मुख्य शर्त है।
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बहरैन को सऊदी अरब के हवाले करने का आले ख़लीफ़ा का प्लान।
बहरैन को सऊदी अरब के हवाले करने का आले ख़लीफ़ा का प्लान।
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सभी षड्यंत्रोंके बावजूद बहरैनी जनता एकजुट।
सभी षड्यंत्रोंके बावजूद बहरैनी जनता एकजुट।
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बहरैन में सरकार विरोधियों के दमन का सिलसिला जारी।
हरैन के विभिन्न शहरों, मुख्य रूप से राजधानी मनामा के नागरिक सड़कों पर निकल आए और आले ख़लीफ़ा सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाते हुए आज़ादी और लोकतंत्र की मांग की।
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बहरैनियों की गिरफ़्तारी आले ख़लीफ़ा का ड्रामा
रिपोर्ट के अनुसार बहरैन के एक राजनीतिक लीडर नें कहा है कि बहरैनी जनता की गिरफ़्तारी वास्तव में आले ख़लीफ़ा अदालत का ड्रामा है। रिपोर्ट के अनुसार बहरैन के एक राजनीतिक लीडर सईद शहाबी नें लंदन में प्रेस टीवी के साथ बातचीत में कहा कि बहरैन में बहुत सس लोगों को जो क़ैद किया जा रहा है वह आले ख़लीफ़ा की अदालत का ड्रामा है।
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बातचीत सम्बंधी आले ख़लीफ़ा सरकार का दावा निराधार
बहरैन में मानवाधिकार केंद्र के प्रमुख ने, सरकार तथा विरोधियों के बीच बातचीत के सम्बंध में आले ख़लीफ़ा सरकार की प्रवक्ता के दावे को रद्द कर दिया है।
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बहरैन में मानवीय अधिकारों के उल्लंघन पर संयुक्त राष्ट्र ध्यान दे।
बहरैन में मानवाधिकार के संगठन सलामुल बहरैन नें जाँच के बाद ऐलान किया है कि बहरैन की सरकार अन्तर्राष्ट्रीय क़ानूनों को अनदेखा करते हुए अपने देश के नागरिकों के ख़िलाफ़ हिंसक पॉलीसियों को जारी रखे हुए है और बहरैन के शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के ख़िलाफ़ हिसंक कार्यवाहियों के हवाले से अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों नें भी कई बार अपनी चिंता और ग़ुस्से का इज़हार किया है
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ख़लीफ़ाई अत्याचार
बहरैन में ऑले खलीफा विरोधी प्रदर्शनकारियों पर फ़ौज की हिंसा जारी।
मंगलवार को एक चौदह वर्षीय जवान सैयद महमूद सैयद मोहसिन की शहादत पर संवेदना प्रकट करने के लिए आयोजित सभा के लिए एकत्र हुए प्रदर्शनकारियों पर सुरक्षा कर्मियों ने हमला कर दिया और उन पर आँसू गैस और रबर की गोलियों की बौछार कर दी।
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ह्यूमन राइट्स वॉच ने बहरैनी अदालत को आपराधिक बताया।
इंटर-नेशनल ह्यूमन राइट्स वॉच ने बहरैन में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ाएं दिए जाने और भ्रष्ट अधिकारियों को सुरक्षा प्रदान किए जाने के लिए बहरैनी सरकार को जमकर लताड़ा है।
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बहरैन
मांगें पूरी होने तक करते जारी रहेगा आंदोलन
शैख़ अली सलमान ने कहा है कि सत्तारूढ़ शासन की नीतियां, तानाशाही जारी रखने, सत्ता शाही परिवार के नियंत्रण में बाक़ी रखने और लोगों को उनके अधिकारों से वंचित करने पर आधारित हैं और बहरैन की जनता कभी भी अपनी मांगों की अनदेखी नहीं करेगी और उनकी प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयास करती रहेगी।
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ख़लीफ़ाई अत्याचार
बहरैन में बेगुनाह जनता की गिरफ़्तारियों का सिलसिला जारी।
आले ख़लीफ़ा शासन के सुरक्षाकर्मियों ने बृहस्पतिवार की रात बहरैन के आली क्षेत्र में लोगों के घरों में प्रविष्ट होकर कई बहरैनी नागरिकों को गिरफ़्तार कर लिया। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बहरैनी सरकार के सुरक्षाकर्मियों ने आली क्षेत्र में घर घर तलाशी ली।
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ऑले ख़लीफ़ा अपनी भेदभावपूर्ण नीतियों को समाप्त करे।
लेबनानी नेताओं ने बैरूत में एक बैठक में ऑले खलीफा सरकार से मांग की है कि बहरैनी क़ौम के ख़िला़फ अपनी आपराधिक और भेदभावपूर्ण नीतियों को समाप्त करे और राजनीतिक दलों के बीच सार्थक बातचीत का मार्ग प्रशस्त करे।
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आले ख़लीफ़ा की बदले की कार्रवाइयों से बहरैनी राष्ट्र परेशान।
सौतुल मनामह की रिपोर्ट के अनुसार ऑले खलीफा की अदालत जो फ़ैसले कर रही है उनका न्याय व इंसाफ़ से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है और यह फ़ैसले क्रांतिकारियों से बदला लेने के लिए किए जा रहे हैं।
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बहरैन
अल-वासित अख़बार नफरत फैलाने में व्यस्त।
बहरैन के मानवाधिकार केंद्र में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रमुख शेख मीसम सलमान ने इस देश के सरकारी अख़बार अल-वासित पर आरोप लगाया है कि वह ऑले ख़लीफा के आदेश से बहरैनी समाज में घृणा फैला रहा है जबकि हुकूमतों की मुख्य भूमिका, राष्ट्र के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और एकजुटता पैदा करना है।
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बहरैन में एक बार फिर अत्याचारी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन
बहरैनी प्रदर्शनकारियों ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि आले खलीफा सरकार बातचीत से बचना चाहती है और तानाशाही और क्रूर नीतियों पर अमल करती है।
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