बहरैनी क्रांतिकारियों ने ऑले खलीफा सरकार से जुड़े अखबारों पर समाज में नफ़रत फैलाने का आरोप लगाया है।
अल-आलम की रिपोर्ट के अनुसार बहरैन के मानवाधिकार केंद्र में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रमुख शेख मीसम सलमान ने इस देश के सरकारी अख़बार अल-वासित पर आरोप लगाया है कि वह ऑले ख़लीफा के आदेश से बहरैनी समाज में घृणा फैला रहा है जबकि हुकूमतों की मुख्य भूमिका, राष्ट्र के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और एकजुटता पैदा करना है।
शेख मीसम सलमान ने बहरैन में जनता के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और एकजुटता पर ताकीद करते हुए षड्यंत्रों को नाकाम करने की अपील की।
बहरैन में फ़रवरी 2011 में जनांदोलन की शुरुआत के बाद से अतिग्रहणकारी ऑले खलीफा सरकार विभिन्न तरीकों से लोगों के बीच फूट और आदिवासी मतभेद पैदा करके बहरैनी जनता के क्रांतिकारी आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश करती रही है लेकिन बहरैनी जनता ने अब तक सरकार की इन साजिशों को नाकाम बनाते हुए अपने लक्ष्यों की प्राप्ति तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखने पर बल दिया है।
11 मई 2014 - 10:11
समाचार कोड: 607827

बहरैन के मानवाधिकार केंद्र में धार्मिक स्वतंत्रता के प्रमुख शेख मीसम सलमान ने इस देश के सरकारी अख़बार अल-वासित पर आरोप लगाया है कि वह ऑले ख़लीफा के आदेश से बहरैनी समाज में घृणा फैला रहा है जबकि हुकूमतों की मुख्य भूमिका, राष्ट्र के विभिन्न वर्गों के बीच एकता और एकजुटता पैदा करना है।