:امام علی علیه السلا
واللّهِ، لَأنْ أبِيتَ على حَسَكِ السَّعْدانِ مُسَهَّدا أو اُجَرّ في الأغْلالِ مُصَفَّدا أحَبُّ إليَّ مِن أنْ ألقَى اللّهَ ورسولَه يومَ القيامةِ ظالما ... .
نهج البلاغة : الخطبة ۲۲۴
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ.स.
ख़ुदा की क़सम! अगर मैं सारी रात कंटीली झाड़ियों पर लेटा रहूँ, या लोहे की ज़ंजीरों में बाँधा जाऊँ — तो यह मुझे ज़्यादा पसंद है, बजाय इसके कि क़यामत के दिन मैं अल्लाह और उसके रसूल से इस हाल में मिलूँ कि मैंने उसके किसी बंदे पर ज़ुल्म किया हो...
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