30 जून 2025 - 16:52
भारत में वहाबी विचारधारा के लिए कोई जगह नहीं: जस्टिस मार्कंडेय काटजू

सच तो यह है कि दरगाहों में कब्रों की पूजा नहीं की जाती। वहाँ केवल सूफी संतों को सम्मान दिया जाता है, जिन्होंने सार्वभौमिक करुणा, सहिष्णुता और भाईचारे का पाठ पढ़ाया।

भारत के पूर्व चीफ जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने वहाबी इस्लाम की आलोचना करते हुए कहा कि भारत में ऐसी कट्टर विचारधारा की कोई जगह नहीं है। मार्कंडेय काटजू ने कहा कि हालाँकि मैं एक नास्तिक हूँ, फिर भी मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूँ, और सूफी संतों की दरगाहों पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करना मुझे बहुत पसंद है, जिन्होंने केवल मुसलमानों के बीच ही नहीं बल्कि सभी मनुष्यों के बीच सहिष्णुता, करुणा और भाईचारे का उपदेश दिया।

उन्होंने कहा कि वहाबी दरगाहों को नापसंद करते हैं, और सऊदी अरब में तो उन्हें नष्ट भी कर देते हैं। वह कहते हैं कि यह 'बुतपरस्ती' के स्थान हैं क्योंकि उनके मान्यतानुसार यहाँ कब्रों की पूजा होती है, जबकि इस्लाम सिर्फ़ अल्लाह की इबादत की इजाज़त देता है। जबकि सच तो यह है कि दरगाहों में कब्रों की पूजा नहीं की जाती। वहाँ केवल सूफी संतों को सम्मान दिया जाता है, जिन्होंने सार्वभौमिक करुणा, सहिष्णुता और भाईचारे का पाठ पढ़ाया।

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे विविधता वाले देश में केवल सूफी इस्लाम ही स्वीकार्य है। वहाबी इस्लाम के लिए यहाँ कोई जगह नहीं है।

 

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