गज़्ज़ा में अवैध ज़ायोनी शासन के हाथों जारी जनसंहार पर दुनिया भर में जनाक्रोश बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और इस्राईल के सामने शासकों की चुप्पी के विपरीत जनता का ग़ुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। दुनिया भर में सार्वजनिक और सामाजिक संगठन फिलिस्तीनी जनता के समर्थन और उनके लिए सहायता गतिविधियों में बढ़-चढ़कर भाग ले रहे हैं।
गज़्ज़ा की कठिन घेराबंदी को तोड़ने के लिए विभिन्न स्तरों पर व्यावहारिक प्रयास जारी हैं, जिनमें राहत जहाजों का प्रस्थान भी शामिल है। इन्हीं प्रयासों के दौरान "मैडलिन" जहाज ज़ायोनी हमले और कब्जे का निशाना बना, हालांकि इसके बावजूद वैश्विक एकजुटता पर आधारित और अधिक राहत अभियान जारी हैं और विभिन्न देशों के सक्रिय कार्यकर्ता गज़्ज़ की जनता तक दवाएं, भोजन और मानवीय सहायता पहुंचाने के लिए अपना संघर्ष जारी रखे हुए हैं।
इसी क्रम की ताज़ा कड़ी अंतर्राष्ट्रीय बेड़े "सुमूद" का प्रस्थान है। जहाज पर सवार राहत और सामाजिक कार्यकर्ता ज़ायोनी घेराबंदी तोड़कर गज़्ज़ा पहुंचना चाहते हैं ताकि भूख और अकाल से प्रभावित फिलिस्तीनियों की मदद की जा सके।
31अगस्त को 44 देशों के 70 से अधिक जहाजों से बना यह बेड़ा बार्सिलोना से रवाना हुआ, जिसका उद्देश्य मानवीय सहायता, भोजन, दवाएं पहुंचाना और फिलिस्तीनी जनता की आवाज दुनिया तक पहुंचाना है।
इस वैश्विक बेड़े में विभिन्न संगठन और आंदोलन शामिल हैं, जिनमें "फ्रीडम फ्लोटिला", "गज़्ज़ा के लिए वैश्विक आंदोलन", "कारवां-ए-सुमूद" और मलेशिया का "अल-सुमूद नुसांतारा" प्रमुख हैं। इसके अलावा पर्यावरण और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले कई प्रसिद्ध कार्यकर्ता जैसे ग्रेटा थुनबर्ग और मरियाना मोर्तगुआ भी इस बेड़े में शामिल हैं।
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