रूस और चीन ने ग़ज़्ज़ा पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा पारित अमेरिकी प्रस्ताव की आलोचना की है। यह प्रस्ताव 13 देशों की सहमति से पारित हुआ, जबकि रूस और चीन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
बैठक में दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने कहा कि यह प्रस्ताव कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर साफ नहीं है। रूसी प्रतिनिधि ने कहा कि यह निर्णय “दो राष्ट्र समाधान” के अनुरूप नहीं है और इसमें यह स्पष्ट नहीं है कि ग़ज़्ज़ा का प्रशासन कब और किस प्रक्रिया के तहत फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंपा जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी कि यह कदम ग़ज़्ज़ा को पश्चिमी तट से स्थायी रूप से अलग कर सकता है।
चीनी प्रतिनिधि ने कहा कि प्रस्ताव का मसौदा अस्पष्ट है और इससे चीन को गंभीर चिंताएँ हैं। उनके अनुसार, युद्ध के बाद ग़ज़्ज़ा के शासन से संबंधित प्रावधानों में फ़िलिस्तीन को लगभग नज़रअंदाज़ किया गया है तथा फ़िलिस्तीनी अधिकारों को पर्याप्त रूप से बयान नहीं किया गया।
हमास समेत फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध समूहों ने इस प्रस्ताव का कठोर विरोध किया और कहा कि ग़ज़्ज़ा में किसी भी विदेशी सैन्य उपस्थिति या बाहरी नियंत्रण को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनके अनुसार, यह प्रस्ताव फ़िलिस्तीन की राष्ट्रीय संप्रभुता के लिए खतरा है।
अमेरिकी योजना में “अंतरराष्ट्रीय स्थिरता बल” की तैनाती और ग़ज़्ज़ा के अस्थायी प्रशासन की व्यवस्था शामिल है, साथ ही वर्ष 2027 तक ग़ज़्ज़ा के प्रबंधन के लिए डोनाल्ड ट्रम्प की अध्यक्षता में “शांति परिषद” बनाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
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