हिज़बुल्लाह के सेक्रेटरी जनरल शेख़ नईम क़ासिम ने कहा कि लेबनान की सरकार द्वारा बार-बार दी गई रियायतों का कोई नतीजा नहीं निकला और देश की असली समस्या इस्राईल की तरफ से लगातार किया जा रहा अतिक्रमण और बर्बर हमले हैं प्रतिरोधी बल नहीं।
शहीद कमांडर मोहम्मद अफ़ीफ़ की बरसी पर जनता को संबोधित कर रहे शैख नईम ने कहा कि शहीद अफ़ीफ़ प्रतिरोध का सच्चा मीडिया चेहरा थे जिसने एक दशक तक “नैरेटिव की जंग” में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शैख नईम क़ासिम ने कहा कि शहीद अफ़ीफ़ ने सत्य-आधारित मीडिया की नींव रखी और उनकी शहादत इसलिए हुई क्योंकि वे दुनिया को प्रतिरोध की असली कहानी दिखाते थे। उन्होंने उनके चार अन्य शहीद साथियों का भी ज़िक्र किया।
उन्होंने कहा कि मीडिया मोर्चा मज़बूत रखना ज़रूरी है क्योंकि इस्राईल की तरफ़ से नागरिकों, राहतकर्मियों और पत्रकारों पर हमले उसकी असली प्रकृति को सामने लाते हैं।
शैख क़ासिम के मुताबिक, इस्राईल के हालिया हमले सिर्फ़ युद्धबंदी के उल्लंघन तक सीमित नहीं बल्कि लेबनान को अस्थिर करने की संगठित कोशिश है।
उन्होंने कहा कि हाल ही में इस्राईल ने सीमा पर दीवार खड़ी करके 4000 वर्ग मीटर लेबनानी ज़मीन पर कब्ज़ा किया और यूनिफ़ेल बलों पर भी गोलीबारी की।
उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि अमेरिकी दबाव के आगे झुकना बेकार है क्योंकि समस्या न तो जन प्रतिरोध है, न लेबनानी सेना बल्कि असली खतरा ज़ायोनी हमले और अतिक्रमण है।
शैख नईम क़ासिम ने कहा कि अमेरिका “मध्यस्थ” नहीं बल्कि लेबनान पर हो रहे हमलों का मुख्य साझेदार है। उन्होंने “क़रज़ अल-हसन” संस्था पर अमेरिकी दबाव को लेबनानी जनता पर आर्थिक हमला बताया।
उन्होंने पार्लियामेंट स्पीकर नबीह बरी के ख़िलाफ़ राजनीतिक अभियानों को अस्थिरता फैलाने की कोशिश करार दिया और कहा कि लेबनानी जनता की मज़बूत इच्छाशक्ति किसी भी धमकी को मात देगी।
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