18 नवंबर 2025 - 14:38
ईरान पर हमले से पहले हिज़्बुल्लाह को कमजोर करना जरूरी 

हिज़्बुल्लाह भारी नुक़सान के बावजूद अपनी शक्ति तेजी से पुनः प्राप्त करने में सक्षम है, और संगठन के भीतर दो धाराएँ मौजूद हैं: एक तुरंत प्रतिक्रिया चाहती है और दूसरी व्यापक युद्ध से बचना चाहती है।

मक़बूज़ा फिलिस्तीन के ज़ायोनी शासन ने लेबनान के खिलाफ नए सैन्य हमलों की धमकियाँ तेज़ कर दी हैं। ज़ायोनी शासन का कहना है कि उसका उद्देश्य हिज़्बुल्लाह की सैन्य क्षमता को फिर से संगठित होने से रोकना और लेबनान सरकार को उसके निरस्त्रीकरण के लिए दबाव में लाना है।
ज़ायोनी चैनल 13 के सैन्य विश्लेषक आलोन बिन-दावूद ने कहा कि “लेबनान और ईरान दोनों ही इस्राईल के लिए अस्पष्ट और खतरनाक मोर्चे बने हुए हैं। इस ज़ायोनी विश्लेषक ने चेतावनी दी कि जल्द ही नए संघर्ष शुरू हो सकते हैं।
उनके अनुसार हिज़्बुल्लाह भारी नुक़सान के बावजूद अपनी शक्ति तेजी से पुनः प्राप्त करने में सक्षम है, और संगठन के भीतर दो धाराएँ मौजूद हैं: एक तुरंत प्रतिक्रिया चाहती है और दूसरी व्यापक युद्ध से बचना चाहती है।
 इस्राईल के भीतर भी विभाजित मत हैं, कुछ धीरे-धीरे अभियान तेज़ करने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ “सीमित और तेज़ युद्ध” के ज़रिए हिज़्बुल्लाह  को कमजोर करने का समर्थन करते हैं।
बिन-दावूद का कहना है कि “ईरान पर हमला तभी संभव है जब उत्तरी मोर्चा शांत कर दिया जाए, क्योंकि इस्राईल दो मोर्चों पर एक साथ युद्ध नहीं लड़ सकता।”
उन्होंने ईरान की जमीन-से-जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों की तेज़ पुनरुत्पादन क्षमता को  इस्राईल की सबसे बड़ी चिंता बताया।
 इस्राईल की उत्तरी बस्तियों की स्थिति को लेकर भी गंभीर रिपोर्टें सामने आई हैं। नेस्सेट सदस्य सासोन गुइता के अनुसार करियात शमोना शहर “लगभग पूरी तरह ढहने” की स्थिति में है। सड़कें खाली, दुकानें बंद और लोग शहर छोड़कर जाने की तैयारी में हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि सरकार कोई सहायता नहीं दे रही और लोग एक और युद्ध, रॉकेट और लगातार डर के माहौल को झेलने को तैयार नहीं हैं।

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