:امام سجاد علیه السلام
وَ الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِي رَكَّبَ فِينَا آلَاتِ الْبَسْطِ، وَ جَعَلَ لَنَا أَدَوَاتِ الْقَبْضِ، وَ مَتَّعَنَا بِأَرْوَاحِ الْحَيَاةِ، وَ أَثْبَتَ فِينَا جَوَارِحَ الْأَعْمَالِ، وَ غَذَّانَا بِطَيِّبَاتِ
.الرِّزْقِ، وَ أَغْنَانَا بِفَضْلِهِ، وَ أَقْنَانَا بِمَنِّهِ
صحیفه سجادیه، دعای۱
इमाम सज्जाद अ.स.
और खास शुक्र है उस ख़ुदा का जिसने हमारे शरीर में खुलने और बंद होने वाले अंगों के साधन बनाए, हमें ज़िंदा अहसास के साथ जीवन का लुत्फ दिया, हमारे अंदर काम करने वाले अंगों को मज़बूत किया, हमें पाक और हलाल रोज़ी से ग़िज़ा दी, अपने एहसान से हमें बे-नियाज़ किया और अपनी नेमतों से हमें दौलत से नवाज़ा।
आपकी टिप्पणी