:حضرت زهرا سلام الله علیها
بِشرٌ في وَجهِ المُؤمِنِ يُوجِبُ لِصاحِبِهِ الجَنَّةَ؛
[بحار الأنوار: ج 75، ص 401]
हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ.
मोमिन से मुलाक़ात के समय खुशरुई से मिलना जन्नत को खुश अखलाक़ी से मिलने वाले पर वाजिब कर देता है।
खुशरुई से मिलना जन्नत को खुश अखलाक़ी से मिलने वाले पर वाजिब कर देता है।
हज़रत फातिमा ज़हरा स.अ.
मोमिन से मुलाक़ात के समय खुशरुई से मिलना जन्नत को खुश अखलाक़ी से मिलने वाले पर वाजिब कर देता है।
आपकी टिप्पणी