ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसऊद पिज़िश्कियान ने कहा है कि ईरान को न तो अमेरिका से डर है और न ही इस्राईल से। उनके अनुसार, एक मज़बूत शिक्षा प्रणाली के ज़रिए देश को तरक़्क़ी की राह पर आगे बढ़ाया जा सकता है।
इस्फ़हान में देशभर के उच्च शिक्षाधिकारियों की कॉन्फ़्रेंस को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी संस्था की कामयाबी या नाकामी का 90 प्रतिशत हिस्सा उसके सर्वोच्च प्रशासक पर निर्भर करता है। अगर कोई संस्था कामयाब होती है तो उसका श्रेय उसके प्रमुख को जाता है, और अगर नाकाम होती है तो जवाबदेही भी उसी की होती है।
उन्होंने कहा, जैसे धार्मिक शिक्षाओं में क़यामत के दिन समाज की बड़ी ज़िम्मेदारी उलमा पर होगी और बाकी तबक़े उनके साथ सवाब या गुनाह में शरीक होंगे वैसे ही किसी संस्था में कमी या भ्रष्टाचार हो तो सबसे पहले नज़र उसके प्रशासक पर जानी चाहिए।
डॉ. पिज़िश्कियान ने कहा, “मुझे अमेरिका या उसकी धमकियों से डर नहीं है, बल्कि मुझे अंदरूनी मतभेदों से डर है। अगर हम एकजुट रहें, तो कोई ताक़त हमें हरा नहीं सकती। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि ईरान के निर्माण के लिए सभी को मैदान में उतरना होगा और बच्चों की शिक्षा को आधुनिक और बेहतर बनाना होगा ताकि देश मज़बूती से आगे बढ़ सके।
राष्ट्रपति ने अंत में कहा कि प्रशासकों का रोल समाज के भविष्य को आकार देने में अहम है। “हमें खुद शुरुआत करनी होगी, क्योंकि आपका आचरण, आपकी मेहनत और आपकी निगरानी आने वाली पीढ़ियों, प्रशासकों, विद्यार्थियों और आम जनता के लिए एक बड़ी सीख है।”
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