16 अक्तूबर 2025 - 14:55
तूफान अल अक्सा की आग कभी नहीं बुझेगी : हमास 

तुमने अमानत अदा कर दी, अल्लाह की राह में जिहाद किया, दुश्मन का झंडा गिराया, उसके घमंड को तोड़ा और उसके नकली अस्तित्व की बुनियादें हिला दीं। तुम्हारा पवित्र शरीर हमारे बीच नहीं है, लेकिन तुम्हारी रूह आसमानों में इस बात की गवाह है कि शहीदों का ख़ून फ़िलिस्तीन और उम्मत की अमर शान को लिख रहा है।”

फिलिस्तीन मुक्ति आंदोलन के अग्रणी सशस्त्र दल हमास ने अपने शहीद कमांडर और राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख शहीद याह्या अल-सिनवार की पहली बरसी पर बयान जारी करते हुए कहा कि “तूफ़ान-अल-अक़्सा” की लौ कभी बुझ नहीं सकती और शहीद लीडरों का ख़ून आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रतिरोध के रास्ते को और मज़बूत बनाएगा।

बयान में कहा गया कि याह्या सिनवार, फ़िलिस्तीनी क्रांति का प्रतीक और “तूफ़ान-अल-अक़्सा” के नेता थे, उनकी शहादत को एक साल बीत चुका है। उनके नेतृत्व में फ़िलिस्तीन की जनता और प्रतिरोध ने ऐसे राष्ट्रीय समझौते और उपलब्धियां हासिल कीं जिन्होंने दुश्मन की तमाम साज़िशों को नाकाम कर दिया।

हमास ने कहा कि इस मौके पर हम अपने इस मुजाहिद और बहादुर कमांडर के संघर्षमय जीवन को गर्व से याद करते हैं। जिन्होंने अपनी जवानी जिहाद के मैदान में गुज़ारी, 23 साल की क़ैद में भी दुश्मन को झुका दिया, और आज़ादी के बाद संघर्ष की तैयारी और संगठन को बढ़ाना जारी रखा। उन्होंने 7 अक्तूबर 2023 वह इतिहास लिखा जिसने इस्राईली शासन को हिला दिया, उसकी तथाकथित “अजेय फ़ौज” की कहानी को मिटा दिया, और आख़िर में अपने साथियों के बीच जंग करते हुए शहादत हासिल की।

हमास ने ज़ोर देकर कहा कि याह्या सिनवार और अन्य शहीद नेताओं की कुर्बानियाँ फ़िलिस्तीनी जनता के इरादे, सब्र और जज़्बे को और बढ़ाएँगी। “तूफ़ान-अल-अक़्सा” की आग हमेशा जलती रहेगी, अपने हक़, उसूल और राष्ट्रीय एकता के जज़्बे से धड़कती रहेगी, और चाहे कुर्बानियाँ कितनी भी बड़ी क्यों न हों, यह लौ कभी नहीं बुझेगी। हम अपने शहीद नेताओं से किए वादे पर कायम हैं। यह परचम कभी ज़मीन पर नहीं गिरेगा, बल्कि ऊँचा लहराता रहेगा, जब तक कि फ़िलिस्तीन पूरी तरह आज़ाद न हो जाए और उसकी राजधानी क़ुद्स न बन जाए।

हमास ने अपने बयान के अंत में कहा: “ऐ अबू इब्राहीम! अपनी पहली बरसी पर सुकून से सो जाओ, तुमने अमानत अदा कर दी, अल्लाह की राह में जिहाद किया, दुश्मन का झंडा गिराया, उसके घमंड को तोड़ा और उसके नकली अस्तित्व की बुनियादें हिला दीं। तुम्हारा पवित्र शरीर हमारे बीच नहीं है, लेकिन तुम्हारी रूह आसमानों में इस बात की गवाह है कि शहीदों का ख़ून फ़िलिस्तीन और उम्मत की अमर शान को लिख रहा है।”

हमास ने कहा कि दुश्मन गजज़ा में अपने हमलों के उद्देश्यों को हासिल करने में नाकाम रहा और आख़िरकार उसे युद्धविराम स्वीकार करना पड़ा, जबकि उसने अपने बंधकों को भी सिर्फ़ प्रतिरोध की शर्तों पर वापस पाया।

बता दें कि याह्या इब्राहीम हसन अल-सिनवार, जिन्हें “अबू इब्राहीम” के नाम से जाना जाता था, 16 अक्तूबर 2024 को गज़्ज़ा के रफ़ह शहर में इस्राईली सैनिकों के साथ संघर्ष करते हुए शहीद हुए थे।

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