:امام على عليه السلام
إذا ماتَ العالِمُ ثُلِمَ فِي الإسلامِ ثُلمَةٌ لايَسُدُّها شَيءٌ إلى يَومِ القِيامَةِ؛
[المحاسن: ج 1 ، ص 364]
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ.स.:
हर दानिशमंद और आलिम की मौत के साथ इस्लाम में एक ऐसा अंतराल पैदा हो जाता है जिसे क़यामत के दिन तक कोई भी चीज़ नहीं भर सकती।
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