संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरवानी ने कहा है कि वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र का चार्टर गंभीर खतरे में है। आक्रामकता के प्रति लगातार मौन और यूएन प्रणाली का राजनीतिक इस्तेमाल इसके सिद्धांतों को कमजोर कर रहा है।
इरवानी ने सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि 13 जून 2025 को इस्राईल ने अमेरिका के प्रत्यक्ष समर्थन से ईरान पर एक व्यापक और अनुचित युद्ध थोप दिया, जो संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का स्पष्ट उल्लंघन है। सुरक्षा परिषद की चुप्पी और कार्रवाई न करने ने आक्रामक शक्तियों को और साहस दिया और यूएन के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुँचाया।
परमाणु समझौते से संबंधित यूरोपीय ट्राइका के कदमों पर उन्होंने कहा कि इन देशों ने अमेरिका के दबाव में आकर प्रस्ताव संख्या 2231 के तहत स्नैपबैक मैकेनिज़्म को फिर से सक्रिय करने की कोशिश की, जो न केवल अवैध थी बल्कि यूएन द्वारा निर्धारित प्रक्रिया और समझौते की भावना के भी खिलाफ थी। इस कदम को सुरक्षा परिषद के कई सदस्यों, जिनमें दो स्थायी सदस्य शामिल हैं, और गुट निरपेक्ष आंदोलन के 121 देशों ने खारिज कर दिया।
ईरानी प्रतिनिधि ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास की कमी इसके सिद्धांतों के कारण नहीं है, बल्कि इन सिद्धांतों पर निष्पक्ष और ईमानदार कार्रवाई न होने के कारण है। जब आक्रामकता करने वालों को सजा नहीं दी जाती और एकतरफा निर्णय, संवाद और बहुपक्षीय प्रणाली की जगह ले लेते हैं, तो संयुक्त राष्ट्र का चार्टर अपनी सार्थकता खो देता है और सुरक्षा परिषद की विश्वसनीयता प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद को अपनी मूल जिम्मेदारी निष्पक्ष और प्रभावी तरीके से निभानी चाहिए ताकि कोई भी शक्तिशाली देश इसे राजनीतिक या एकतरफा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल न कर सके।
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