लाहौर में जामेअ उरवतुल वुस्क़ा की मेज़बानी में “ज़ुल्म के सामने इस्लामी दुनिया खामोश क्यों?” शीर्षक से सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें शिया–सुन्नी उलमा, सूफ़ी मशायख़, राजनीतिक व धार्मिक नेता और अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की।
शिरकत कर्ताओं ने ग़ज़्ज़ा के मज़लूमों के प्रति मुस्लिम सरकारों और क़ौमों की बेपरवाही की निंदा करते हुए कहा कि ऐसी खामोशी जालिमों की मदद के बराबर है और अल्लाह के सामने क़बूल नहीं होगी।
सभी वक्ताओं ने पैग़म्बर-ए-इस्लाम (स) की तालीमात और साझा इस्लामी क़द्रों का हवाला देते हुए वहदत और एकता को मौजूदा चुनौतियों का इकलौता हल बताया।
ईरान के काउंसल जनरल मेहरान मुवह्दहिद फ़र और कल्चर हाउस प्रमुख असगर मसऊदी ने भी सम्मेलन में शिरकत की और फिलिस्तीन की हिमायत को उम्मत का दीनी और इंसानी फ़र्ज़ बताया।
सम्मेलन के अंत में सभी ने एक बार फिर जोर देते हुए दोहराया कि फिलिस्तीन का मसला केवल क्षेत्रीय नहीं बल्कि वैश्विक और इस्लामी मुद्दा है और इसकी अनदेखी इंसाफ़ और इंसानी शराफत, गौरव और करामत से मुँह मोड़ने के बराबर है।
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