:امام علی علیه السلام
الدهرُ يَومانِ: فيَومٌ لَكَ و يَومٌ علَيكَ، فإذا كانَ لكَ فلا تَبطَرْ، و إذا كانَ عَليكَ فلا تَحزَنْ، فَبِكِلَيهِما سَتُختَبَرُ؛
[تحف العقول، ص207]
इमाम अली अ.स.
ज़िंदगी दो दिनों की है; एक दिन तेरे हक़ में होगा और एक दिन तेरे ख़िलाफ़। जब तेरे हक़ में हो तो घमंड और नशे में मत पड़, और जब तेरे ख़िलाफ़ हो तो ग़मगीन मत हो; क्योंकि दोनों ही तेरे इम्तिहान का ज़रिया हैं।
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