समाज के प्रभावशाली और प्रतिष्ठित लोगों पर -जिन्हें "विशेष और खास" कहा जाता है- आम लोगों की तुलना में कहीं अधिक ज़िम्मेदारी होती है। यदि ये लोग महत्वपूर्ण और नाज़ुक समय में अपनी ज़िम्मेदारी नहीं निभाते, तो पूरी क़ौम को आश्चर्य, भ्रम और अपमान का सामना करना पड़ता है।
आम लोग जीवन के संवेदनशील और निर्णायक क्षणों में इन प्रभावशाली व्यक्तियों के शब्दों और व्यवहार को देखते और सुनते हैं। यह वह लोग हैं जिन्हें जनता की नज़र में विश्वसनीय और लीडर माना जाता है।
अगर यह खास और प्रभावशाली लोग, जिनके पास बोलने का अवसर, सामाजिक प्रतिष्ठा और जनता का विश्वास है, महत्वपूर्ण समय पर सच नहीं बोलते, सच का समर्थन नहीं करते, और सही काम करने से पीछे हटते हैं "और जनता को शको संदेह, इनकार और भ्रम की हालत में छोड़ देते हैं," तो उन्हें समाज में गुमराह करने, धर्म और आस्था को नुकसान पहुँचाने और मान्यताओं को भ्रष्ट करने में भागीदार माना जाएगा।
खास और जिम्मेदार लोगों की ज़िम्मेदारी" एक बहुत ही गंभीर, नाजुक और महत्वपूर्ण कर्तव्य है। यदि यह लोग केवल अपने जीवन, पद या धन के लालच में अपनी धार्मिक और सामाजिक ज़िम्मेदारियों को पूरा नहीं करते हैं, तो उन्हें न केवल लोगों की नज़र में, बल्कि इतिहास की अदालत और बेदार जमीर लोगों की नजदीक भी दोषी माना जाएगा।
इसलिए, पहले अपनी ज़िम्मेदारी पहचानना, फिर उस पर अमल करना भी आशूरा का एक अहम सबक़ है!
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