ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह खामेनेई ने सहायता कर्मियों से मुलाक़ात करते हुए उन्हे मानवतावाद का प्रतीक बताया।
इस्लामी क्रान्ति के सर्वोच्च नेता ने सहायता कार्यकर्ताओं को मानवीय और परोपकारी गुणों का अवतार माना और सांस्कृतिक विकास के माध्यम से ईरानी राष्ट्र की निस्वार्थता और परोपकार की भावना को जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया।
ईरानी नेता ने कहा कि इस भावना के विपरीत गज़्ज़ा में ज़ायोनी शासन के अपराध और क्रूरताएं तथा इसके लिए पश्चिमी समर्थन है, तथा इस रक्तपात और झूठे मोर्चे के खिलाफ खड़ा होना सभी लोगों का एक सार्वभौमिक कर्तव्य है।
आयतुल्लाह खामेनेई ने कहा कि "बचाव दल, गोलियों की बौछार के बीच, केवल दूसरों को बचाने के बारे में सोच रहा था, खुद को बचाने के बारे में नहीं। उनके त्याग की अद्भुत भावना इस हद तक थी कि उन्होंने कभी-कभी घायल दुश्मन कैदियों की भी मदद की, जो मानवता से बेगानी दुनिया के लिए एक अजूबा है।
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