यमन के खिलाफ इस्राईल और अमेरिका को संयुक्त अरब अमीरात बढ़ चढ़ कर सहयोग कर रहा है। लेबनानी अख़बार अल-अख़बार ने सनआ स्रोतों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि अमेरिका और इस्राईल ने अमीराती फौज की मदद से लाल सागर के ज़ुकर द्वीप पर ऑपरेशन रूम सक्रिय किए हैं। इनका मक़सद अंसारुल्लाह के खिलाफ खुफिया कार्रवाई करना है।
सूत्रों के मुताबिक, अमीरात ने यहां अर्ली वॉर्निंग सिस्टम भी लगाया है ताकि यमन से इस्राईल या उसके जहाज़ों पर होने वाले मिसाइल और ड्रोन हमलों की निगरानी की जा सके। ज़ुकर अब एक बड़े खुफिया और निगरानी केंद्र में बदल चुका है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमीरात की विशेष खुफिया यूनिट फ़ोर्स 400 को दोबारा सक्रिय किया गया है, जो पहले भी अमेरिकी सेंट्रल कमांड के लिए पश्चिमी यमन में काम करती थी।
यमन सरकार ने हाल के महीनों में शबवा, हज़्रमूत और महरा में संदिग्ध गतिविधियां देखी हैं। अमीरात ने शबवा के मर्राह कैंप को आधुनिक खुफिया केंद्र में तब्दील कर दिया है, जिसे अमेरिकी सेंट्रल कमांड से जोड़ा गया है। स्थानीय कार्यकर्ता अली अल-नसी के अनुसार, यह साइट “C” उपग्रह से जुड़े ऑपरेशन और कम्युनिकेशन रूम से लैस है, यहाँ अमीरात समर्थक यमनी फौजियों को भी प्रवेश नहीं मिलता।
यमन के गृह मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि यह सारी साज़िशें यमन के भीतर और गज़्ज़ा के लिए बने सपोर्ट फ्रंट को कमजोर करने के लिए हैं। मंत्रालय ने सऊदी अरब और अमीरात पर अमेरिका-इस्राईल के लिए फंडिंग करने का आरोप लगाया।
यमनी सैन्य सूत्रों ने कहा कि गज़्ज़ा की मदद के लिए बनाया गया यमन का सपोर्ट फ्रंट उतना ही अहम है जितना सीधा सैन्य अभियान। उनका दावा है कि अमेरिका, इस्राईल और अमीरात की गतिविधियां इसी को कमजोर करने की कोशिश हैं।
इसी सिलसिले में अमेरिकी सेंट्रल कमांड के प्रमुख एडमिरल ब्रैड कूपर ने सऊदी-यूएई गठबंधन के सैन्य प्रमुख सगीर बिन अज़ीज़ से मुलाक़ात भी की, जिसमें सैन्य सहयोग और सुरक्षा साझेदारी पर बातचीत हुई।
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