पश्चिमी देशों ने एक बार फिर ईरान पर पाबंदी लागू करने के लिए "स्नैपबैक मैकेनिज़्म" सक्रिय करने पर मोहर लगा दी है। यह वही प्रावधान है जो संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद की ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से जुड़ी शर्तों में शामिल है और जिसके माध्यम से किसी भी देश की शिकायत पर पुराने प्रतिबंध दोबारा लागू किए जा सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस कदम का असली मक़सद ईरान पर दबाव बढ़ाना है, जबकि तेहरान बार-बार कह चुका है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है। ईरान ने चेतावनी दी है कि अगर स्नैपबैक मैकेनिज़्म के तहत उस पर और पाबंदियाँ लगाई गईं तो इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा।
कूटनीतिक हल्कों में यह भी माना जा रहा है कि अमेरिका और उसके यूरोपीय सहयोगी इस मैकेनिज़्म का इस्तेमाल गज़्ज़ा और पश्चिम एशिया की मौजूदा स्थिति में ईरान की क्षेत्रीय भूमिका को सीमित करने के लिए कर रहे हैं। वहीं रूस और चीन ने ऐसे किसी भी कदम का विरोध करते हुए कहा है कि यह तनाव को और बढ़ाएगा।
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