18 सितंबर 2025 - 13:49
डेनमार्क, इमाम अली (अ.स.) मस्जिद की गतिविधियों में रुकावट डालने की कोशिशें और बेबुनियाद  दावे

मस्जिद ने कई मशहूर इस्लामी किताबें, जैसे इमाम सज्जाद (अ.स.) की “रिसाला-ए-हुक़ूक़” और शहीद मुतह्हरी की किताबें डेनिश भाषा में अनुवाद कर छापी हैं। हर महीने के पहले रविवार को यह मस्जिद गैर-मुस्लिम लोगों के लिए भी खोली जाती

डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन में मस्जिद-ए-इमाम अली (अ.स.) शिया मुसलमानों का बड़ा केंद्र बन चुकी है। 

डेनमार्क के कोपेनहेगन शहर में मौजूद मस्जिद-ए-इमाम अली (अ.स.) हाल के दिनों में चर्चा का विषय बनी हुई है। यह मस्जिद यूरोप की सबसे बड़ी और ख़ूबसूरत शिया मस्जिदों में गिनी जाती है। इसे 2010 में बनाना शुरू किया गया था और 2015 में ईद-ए-ग़दीर के दिन खोला गया।

इस मस्जिद का गुंबद फ़िरोज़ी रंग का है और इसके दो मीनारें 32 मीटर ऊँची हैं। यहाँ नमाज़ के लिए एक बड़ा हॉल है जिसमें 1500 लोग एक साथ नमाज़ अदा कर सकते हैं। इसके अलावा कॉन्फ़्रेंस हॉल, लाइब्रेरी, रिसर्च सेंटर, क्लासरूम, महिलाओं के लिए अलग जिम, स्टूडियो और मेहमानों के लिए फ्लैट भी मौजूद हैं।

मस्जिद में सिर्फ इबादत ही नहीं होती, बल्कि यह शिक्षा और समाजी कामों का भी बड़ा केंद्र है। यहाँ हर जुमे को जवानों  के लिए क़ुरान और अहलुलबैत (अ.स.) की तालीमात पर क्लास होती है। साथ ही पिकनिक, कैंप और खेल-कूद जैसे प्रोग्राम भी रखे जाते हैं।

इस मस्जिद ने कई मशहूर इस्लामी किताबें, जैसे इमाम सज्जाद (अ.स.) की “रिसाला-ए-हुक़ूक़” और शहीद मुतह्हरी की किताबें डेनिश भाषा में अनुवाद कर छापी हैं। हर महीने के पहले रविवार को यह मस्जिद गैर-मुस्लिम लोगों के लिए भी खोली जाती है ताकि वो इस्लाम और शिया संस्कृति को क़रीब से समझ सकें।

आज मस्जिद-ए-इमाम अली (अ.स.) न सिर्फ़ डेनमार्क बल्कि पूरे यूरोप के सबसे सक्रिय इस्लामी केंद्रों में मानी जाती है।

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