ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह खामेनेई ने रसूले इस्लाम स.अ. और इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स की विलादत के अवसर पर कैदियों की सजा मुआफ़ करने को मंजूरी दे दी है।
आयतुल्लाहुल उज़मा ख़ामेनेई ने ईद-ए-मिलाद-उन-नबी (स.अ. ) और हज़रत इमाम जाफ़र सादिक़ (अ. स.) की विलादत के अवसर पर कुछ क़ैदियों के लिए माफी और सज़ा में कमी की मंज़ूरी दी है।
सुरक्षा से जुड़े अपराधों में माफी की शर्त यह रखी गई है कि सज़ा पक्की होने के बाद कम से कम पाँच साल बीत चुके हों और इस दौरान अभियुक्तों ने देश के हितों या राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ कोई कार्रवाई न की हो।
कुछ गंभीर अपराध इस आम माफी से बाहर रखे गए हैं, जिनमें हथियारबंद डकैती, नशीले पदार्थों की तस्करी, देश की सुरक्षा के खिलाफ अपराध, जासूसी और दुश्मन देशों के साथ सहयोग, आतंकी समूहों की सदस्यता, अपहरण, नकली सिक्के या नोट बनाना, आर्थिक व्यवस्था में बड़ा व्यवधान पैदा करना और शराब की तस्करी आदि शामिल हैं।
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