AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : ابنا
मंगलवार

23 जुलाई 2024

6:35:11 am
1473937

रूस और अमेरिका के बीच टकराव का मैदान बनेगा जर्मनी

जर्मन विदेश मंत्री का कहना है कि पुतिन के राष्ट्रपतिकाल के दौरान, रूस ने अपने हथियारों का ज़ख़ीरा बढ़ाया है, इसलिए वह जर्मनी में लम्बी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों की तैनाती का समर्थन करती हैं।

नाटो के हालिया शिखर सम्मेलन में अमेरिका ने एलान किया था कि वह जर्मनी में लंबी दूरी तक मार करने वाले हथियार तैनात करना चाहता है। अमेरिका की इस घोषणा का कई जर्मन पार्टियों और नेताओं ने विरोध किया लेकिन जर्मन सरकार ने इसका स्वागत किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि देश में अमेरिकी हथियारों की तैनाती का मतलब, वाशिंगटन के सामने बर्लिन का आत्मसमर्पण करना है।

जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बायरबॉक का कहना है कि पुतिन के राष्ट्रपतिकाल के दौरान, रूस ने अपने हथियारों का ज़ख़ीरा बढ़ाया है, इसलिए वह जर्मनी में लम्बी दूरी तक मार करने वाले मिसाइलों की तैनाती का समर्थन करती हैं।

हालांकि, संसद में जर्मनी की सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख रॉल्फ़ मोत्सेनिश ने अमेरिका के साथ इस तरह के किसी भी समझौते को चिंताजनक बताते हुए चेतावनी दी है कि अमेरिकी हथियारों को तैनात करने के ख़तरों को नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

इस बीच, रूस के उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने अमेरिका द्वारा जर्मनी में 2026 तक लंबी दूरी के मिसाइलों की तैनाती की घोषणा पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मास्को इसके जवाब में परमाणु मिसाइलों को तैनात कर सकता है।

अंग्रेज़ी अख़बार फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने अमेरिका में आगामी राष्ट्रपति चुनाव और डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा चुने जाने की संभावना का ज़िक्र करते हुए कहा की बर्लिन के नेताओं के लिए ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल डरावना होगा। बर्लिन में नीति निर्माताओं की चिंताओं में से एक यह भी है कि फ्रांस की तरह अमेरिका में राजनीतिक रुझान, जर्मनी में अराजक राजनीतिक माहौल को बढ़ावा देगा।