AhlolBayt News Agency (ABNA)

source : Parstoday
बुधवार

23 नवंबर 2022

6:30:06 pm
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ज़ायोनियों के हथियारों की बिक्री में युद्ध और शांति दोनों ही सहायक

इस्राईली समाचारपत्र हारेत्ज़ लिखता है कि अब्राहम समझौते और यूक्रेन युद्ध ने ज़ायोशी शासन के हथियारों के निर्यात में वृद्धि की है।

प्रकाशित आंकड़ों से पता चलता है कि सन 2020 की तुलना में ज़ायोनी शासन ने 2021 में अधिक हथियार बेचे।  पिछले वर्ष की तुलना में इस साल इस्राईल को 30 प्रतशित अधिक आय की वृद्धि हुई।  इस हिसाब से हथियार बेचकर इस्राईल को 11 अरब डाॅलर की रक़म हासिल हुई।

अब्राहम समझौते के कारण फ़ार्स की खाड़ी और उत्तरी अफ्रीका की कुछ सरकारें, ज़ायोनी शासन के हथियारों की स्थाई ख़रीदार बन गईं।  ज़ायोनी शासन के युद्धमंत्री बेनी गेंट्स का कहना है कि इन नए ख़रीदारों से इस्राईल को हथियारों के निर्यात के क्षेत्र में कम से कम 3 अरब डाॅलर का लाभ हुआ।  यह देश हैं यूएई, बहरैन और मोरक्को।

इन देशों को हथियार निर्यात करने से न केवल यह कि इन देशों का अधिक धन ज़ायोनी शासन के शस्त्र उद्योग को चला जाता है बल्कि इससे इन देशों के विकास कार्यक्रम बाधित होते हैं।  यूएई, बहरैन और मोरक्को जैसे देशों को हथियार बेचने से इन देशों के सुरक्षा केन्द्रों और वहां की गुप्तचर संस्थाओं तक ज़ायोनी शासन की पहुंच गहरी हो गई है।  इसका एक अन्य दुषप्रभाव यह है कि ज़ायोनियों के इस काम से इन देशों के पड़ोसी देशों की शांति एवं सुरक्षा के लिए भी समस्याएं पैदा हो रही हैं। 

वास्तव में अवैध ज़ायोनी शासन इन देशों को ट्राजन हार्स के रूप में देखता है क्योंकि इससे इस्राईल, क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाने में सक्षम हुआ है।  इन बातों से पता चलता है कि अरब-ज़ायोनी और यूएई के संचार माध्यमों के प्रचार एवं प्रसार के बावजूद अब्राहम समझौते से न केवल यह कि क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता स्थापित होने में कोई मदद नहीं मिली बल्कि इससे फ़िलिस्तीन में निराशा उत्पन्न हुई और वहां पर झड़पें बढ़ गई हैं। 

इसी के साथ यूक्रेन युद्ध चाहे इस देश के लिए एक त्रासदी रहा हो और उसके दुष्परिणाम वहां पर सामने आए हों लेकिन ज़ायोनी शासन के लिए यह एक वरदान सिद्ध हुआ।  दूसरी ओर ज़ायोनी-पश्चिमी संचार माध्यम ईरान के ड्रोन का भय दिखाकर ज़ायोनी शासन के हथियारों के लिए नए ख़रीदार पैदा कर रहे हैं।  इस्राईल ने यूक्रेन युद्ध का ख़ूब दुरूपयोग किया। 

अब यह बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि यूक्रेन युद्ध एक संयोग नहीं था।  इसी आधार पर इस संभावना को बल मिल रहा है कि यूक्रेन, रूस और नेटो में मौजूद ज़ायोनी शासन के माफिया, यूक्रेन युद्ध को जारी रखने में अपनी भूमिका लगातार निभा रहे हैं।  यहसब इसलिए है कि यूक्रेन युद्ध से इस्राईल अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहता है।

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