:قالَ الاْءمامُ الْعَسْكَرىّ عليه السلام
.مِنَ التَواضُعِ السَّلامُ عَلى كُلِّ مَنْ تَمُرُّ بِهِ، وَ الْجُلُوسُ دُونَ شَرَفِ الْمَجْلِسِ
[بحارالانوار 78: 372 ح 9]
इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम:
“जो भी तुम्हारे रास्ते से गुज़रे, उसे सलाम करना — और किसी ऐसी जगह बैठना जो तुम्हारी अपनी जगह से नीची हो — यह इंसान के अंदर विनम्रता और नम्र स्वभाव (तवाज़ो) की निशानी है।”
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