यमन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सऊदी अरब पर भी इस्राईल हमला कर सकता है। अरब देश अब ग्रेट इस्राईल प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं।
यमन की सर्वोच्च राजनीतिक परिषद के सदस्य मोहम्मद अली अल-हौसी ने कहा है कि इस्राईल द्वारा सऊदी अरब पर बमबारी करना कोई असंभव बात नहीं है, क्योंकि सऊदी अरब “ग्रेट इस्राईल प्रोजेक्ट” का हिस्सा बन चुका है।
अल-हौसी ने अल-मसीरा टीवी से बात करते हुए कहा कि अमेरिका अब केवल इस्राईल को ही अपना असली सहयोगी मानता है। उन्होंने कहा कि अरब देश, जो ट्रिलियनों डॉलर अमेरिका को दे चुके हैं, अमेरिका के लिए सिर्फ “कर्तव्य पूरा करने वाले ग्राहक” हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर अमेरिका वाकई अपने सहयोगियों की रक्षा करता है, तो फिर इस्राईल के क़तर पर हमले के दौरान उसने कुछ क्यों नहीं किया? अरब देशों ने अरबों डॉलर दिए और इस्राईल से रिश्ते सामान्य किए लेकिन बदले में कुछ नहीं मिला।
अल-हौसी ने बताया कि यमन की सैन्य कार्रवाइयाँ गज़्ज़ा की मदद के लिए तब तक जारी रहेंगी जब तक इस्राईल का हमला और घेराबंदी पूरी तरह खत्म नहीं होती। उन्होंने कहा कि यमन की मिसाइल और नौसैनिक कार्रवाई ने साबित कर दिया है कि वह इस्राईल की नाकेबंदी को प्रभावी ढंग से लागू कर रहा है, और अगर यह असरदार न होती तो दुश्मन इसकी परवाह भी न करता।
उन्होंने कहा कि यमन अब बेहद सटीक मिसाइलों से लैस है, जो किसी भी हमलावर देश के ठिकानों को निशाना बना सकती हैं।
अल-हौसी ने अरब और इस्लामी देशों से अपील की कि सिर्फ सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि दुश्मन के दूतावास बंद करना और राजनीतिक व आर्थिक रिश्ते तोड़ना भी ज़रूरी कदम हैं।
उन्होंने साफ कहा कि सऊदी और अमीरात के समर्थक भाड़े के सैनिक यमन के असली प्रतिनिधि नहीं हैं, वे सिर्फ अपने मालिकों के आर्थिक हितों के लिए काम कर रहे हैं।
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