सीरिया में हुए संसदीय चुनावों के शुरुआती नतीजों से पता चला है कि नई संसद में अल्पसंख्यकों और महिलाओं की प्रतिनिधित्व में उल्लेखनीय गिरावट आई है। यह चुनाव आतंकवादी समहू हट्स keके सरग़ना जौलानी के नियंत्रण में कराए गए, जिससे देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं।
सीरियाई चुनाव आयोग के अनुसार, शुरुआती नतीजों में कुल 119 प्रतिनिधि चुने गए, जिनमें केवल 6 महिलाएं और 4 अल्पसंख्यक सदस्य शामिल हैं। ये चुनाव सिर्फ उन इलाकों में कराए गए जो जौलानी के कब्जे में हैं, जिसके चलते सभी तबकों की निष्पक्ष भागीदारी की संभावना बहुत सीमित रही।
विशेषज्ञों के मुताबिक, यह चुनाव अरब दुनिया के कुछ देशों के चुनावी मॉडल की नकल हैं, जिनमें चुने गए प्रतिनिधि जनता के असली प्रवक्ता नहीं होते, बल्कि जौलानी के शासन को मजबूत करने वाली नीतियों की पुष्टि करते हैं।
चुनावों के दौरान उम्मीदवारों पर सख्त पाबंदियां, सुरक्षा और सामाजिक दबाव बनाए रखा गया ताकि केवल खास समूहों की जीत सुनिश्चित की जा सके। सुधारों के नाम पर संसद के एक-तिहाई सदस्य सीधे जौलानी द्वारा चुने जाएंगे।
जौलानी ने इन चुनावों को “ऐतिहासिक पल” बताया और दावा किया कि जनता अब देश के पुनर्निर्माण में हिस्सा ले सकती है, लेकिन पर्यवेक्षकों का कहना है कि यह पूरा चुनावी प्रक्रिया सिर्फ जौलानी की सत्ता को मजबूत करने का एक साधन है, न कि सीरियाई जनता की सच्ची आवाज़।
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