ऑपरेशन “तूफ़ान अल-अक़्सा” के दो साल पूरे होने पर इस्लामिक जिहाद मूवमेंट के महासचिव ज़्याद नुख़ाला ने ट्रम्प की सीज़फ़ायर योजना” को लेकर चेतावनी दी और इसे फ़िलिस्तीनी जनता के “पूरे आत्मसमर्पण की घोषणा” बताया।
बुधवार को अल-मयादीन टीवी पर अपने भाषण में नुख़ाला ने कहा कि फ़िलिस्तीनी लोगों ने जितनी कुर्बानियाँ दी हैं, उसके बाद वे किसी भी तरह की सरेंडर की शर्तें स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि “तूफ़ान अल-अक़्सा” की ऐतिहासिक जंग को दो साल हो चुके हैं, और इस्राईली नरसंहार और तबाही के बावजूद, ख़ासकर गज़्ज़ा में, फ़िलिस्तीनी जनता अब भी मज़बूती से डटी हुई है, न झुकी है, न टूटी है।
नुख़ाला ने कहा कि फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध ने दुश्मन के ख़िलाफ़ संघर्ष बंद नहीं किया है, बल्कि हर दिन उसे नुक़सान पहुँचा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रतिरोध केवल एक नारा या प्रचार नहीं, बल्कि मैदान में मौजूद एक सच्चाई है।
उन्होंने कहा कि “तूफ़ान अल-अक़्सा” के बाद पिछले दो सालों में पूरी दुनिया में इंसाफ़पसंद और जागरूक लोगों ने फ़िलिस्तीन के समर्थन में अपनी आवाज़ बुलंद की है।
नुख़ाला ने साफ़ कहा कि राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर किसी भी तरह के समझौते या आत्मसमर्पण की कोशिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इतनी कुर्बानियों के बाद इस्लामिक जिहाद मूवमेंट दुश्मन की किसी भी शर्त को नहीं मानेगा।
उन्होंने कहा कि “ट्रम्प प्लान” असल में फ़िलिस्तीनियों के आत्मसमर्पण की मांग है और अगर इसे स्वीकार किया गया तो यह प्रतिरोध और फ़िलिस्तीनी अधिकारों के लिए एक बड़ा नुक़सान होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि प्रतिरोध बातचीत के लिए तैयार है, बस शर्त यह है कि बातचीत तयशुदा नियमों और समझदारी भरी प्राथमिकताओं के आधार पर हो।
उन्होंने “क़ैदियों की अदला-बदली” के मुद्दे को बातचीत की पहली और सबसे अहम शर्त बताया, जिससे तनाव कम हो सकता है और प्रतिरोध के बड़े लक्ष्यों को हासिल करने का रास्ता खुल सकता है।
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