34 साल पहले 87 वर्ष की आयु में इमाम ख़ुमैनी का स्वर्गवास हुआ था। एक लंबे संघर्ष के बाद आज की के दिन उन्होंने इस नश्वर संसार के विदा ली थी।
उनके स्वर्गवास के तीन दशकों से भी अधिक समय के बावजूद स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की विचारधारा आज भी इस्लामी शासन के लिए एक आदर्श के रूप में मौजूद है। इमाम ख़ुमैनी के व्यक्तित्व के बारे में विश्व के बहुत से नेता, धर्मगुरू, विद्वान और बुद्वीजीवी अपने विचार पेश करते रहे हैं।
इसी संदर्भ में बहरैन के वरिष्ठ धर्मगुरू कहते हैं कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी की स्पष्ट विशेषताओं में से एक यह है कि उन्होंने अत्याचारियों का मुक़ाबला करने के लिए लोगों में साहस भर दिया। शेख अब्दुल्ला अद्दक़ाक़ के अनुसार इमाम ख़ुमैनी का व्यक्तित्व बहुआयामी है। उन्होंने कहा कि इमाम ख़ुमैनी के संदेश और उनकी बातें बहुत ही स्पष्ट थी जिन्होंने लोगों को अन्याय के विरुद्ध खड़ा करने के लिए प्रोत्साहित किया।
दूसरी ओर बग़दाद के इमामे जुमा ने कहा है कि इमाम ख़ुमैनी ने क्षेत्र और विश्व के शक्ति के संतुलन को परिवर्तित कर दिया। आयतुल्ला यासीन अलमूसवी ने कहा कि स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी ने इराक़ के शिया मुसलमानों को एसे स्थान पर पहुंचा दिया कि आज वे सत्ता तक पहुंचे और हश्दुश्शाबी जैसे स्वयंसेवी संगठन का गठन करने में सफल रहे।
उल्लेखनीय है कि रविवार 4 जनू 2023 को स्वर्गीय इमाम खु़मैनी की बरसी मनाई जा रही है।
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