29 जून 2014 - 00:19
रौज़ों की सुरक्षा के लिये हम इंसानी दीवार बना देंगे

हमारे पास रौज़ों की सुरक्षा के लिये हथियार नहीं हैं लेकिन हौसले हैं और हौसलों के सामने हथियार पस्त हो जाते हैं, इराक़ में रौज़ों की सुरक्षा के लिये हम ईंट की दीवार के आगे इंसानी दीवार बना देंगे, यह बात आज मौलाना कल्बे जवाद ने हज़रत अब्बास अ. की दरगाह लखनऊ में इराक़ में आतंकवादियों के विरूद्ध जेहाद के लिये जमा किये जाने वाले पासपोर्टों के लिये आोजित शिविर के आरम्भ में कही।

हमारे पास रौज़ों की सुरक्षा के लिये हथियार नहीं हैं लेकिन हौसले हैं और हौसलों के सामने हथियार पस्त हो जाते हैं, इराक़ में रौज़ों की सुरक्षा के लिये हम ईंट की दीवार के आगे इंसानी दीवार बना देंगे, यह बात आज मौलाना कल्बे जवाद ने हज़रत अब्बास अ. की दरगाह लखनऊ में इराक़ में आतंकवादियों के विरूद्ध जेहाद के लिये जमा किये जाने वाले पासपोर्टों के लिये आोजित शिविर के आरम्भ में कही।


   

कफ़न पहन कर बड़ी संख्या में लोगों ने पासपोर्ट जमा कराये जिसमें कैम्प में ग्यारह वर्षीय मुहम्मद कंबर रेज़ा समेत बड़ी संख्या में औरतों व मर्दों ने अपने अपने पासपोर्टों की फोटो कापी या ओरिजनल पासपोर्ट जमा कर इराक़ में आतंकवादियों के विरूद्ध जेहाद का ऐलान किया सबसे पहला पासपोर्ट मौलाना कल्बे जवाद ने जमा किया और उसके बाद दूसरे उल्मा ने भी अपने अपने पासपोर्ट जमा किये।
भीड़ को सम्बोधित करते हुए मौलाना कल्बे जवाद ने लब्बैक या हुसैन के मतलब पर रौशनी डालते हुए कहा कि लब्बैक की आवाज़ बुलंद करने के बाद घरों में नहीं बैठा जाता है बल्कि लबेबैक का मतलब है कि मैं हाज़िर हूँ। उन्होंने कहा कि केवल नारे लगा देने से जिम्मेदारी पूरी नहं होती है बल्कि अमल में उसे साबित किया जाता है। मौलाना ने कहा हमसे पूछा जाता है कि आपके पास हथियार तो हैं नहीं आपने फ़ौजी ट्रेनिंग तो देखी नहीं है फिर आप कैसे आतंकवादियों का मुक़ाबला करेंगे? हमारा जवाब है कि हमारे पास हथियार नहीं है लेकिन हौसला है।

 

उन्होने कहा कि हिंदुस्तान के कुछ तथाकथित मुल्ला दाइश आतंकी गुट का समर्थन कर रहें हैं जबकि दाइश खुल्लम खुल्ला बेगुनाह जनता का नरसंहार कर रहा है उन्होंने कहा हम आतंकवादियों से कोई डर नहीं है हम रौज़ों की सुरक्षा के लिये इंसानी दीवार बना देंगे।

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