4 नवंबर 2025 - 16:15
हज़रत ज़हरा की वसीयत-2

.....किसी को ख़बर न होने देना। मैं तुम्हें ख़ुदा के हवाले करती हूँ और क़यामत तक अपने बच्चों को सलाम अर्ज़ करती हूँ।

:حضرت فاطمه سلام الله علیها 

... حَنِّطني وغَسِّلني وكَفِّنّي بِاللَّيلِ، وصَلِّ عَلَيَّ وَادفِنِّي بِاللَّيلِ، ولا تُعلِم أحَداً، وأَستَودِعُكَ اللّه‏َ وأَقرَأُ عَلى وُلدِيَ السَّلامَ إلى يَومِ القِيامَةِ

بحار الأنوار : ج ۴۳ ص ۲۱۴ ح ۴۴

हज़रत ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा

मुझे रात में ही हनूत करना, ग़ुस्ल देना और कफ़न पहनाना, फिर मुझ पर नमाज़ पढ़ना और रात में ही दफ़न कर देना, किसी को ख़बर न होने देना। मैं तुम्हें ख़ुदा के हवाले करती हूँ और क़यामत तक अपने बच्चों को सलाम अर्ज़ करती हूँ।

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