1 नवंबर 2025 - 11:04
हिज़्बुल्लाह लेबनान का शक्तिकेंद्र, अमेरिका ईमानदार मध्यस्थ नहीं

उन्होंने सवाल उठाया कि ज़ायोनी उल्लंघनों, नागरिकों की हत्याओं और तबाही पर अमेरिका का क्या रुख है? अमेरिका ने कभी लेबनान के लिए भलाई नहीं चाही।

हिज़्बुल्लाह लेबनान के प्रमुख शेख़ नईम क़ासिम ने कहा है कि लेबनान की संप्रभुता और ताकत का असली स्तंभ बाहरी समर्थन नहीं बल्कि जनता का प्रतिरोध और यह आंदोलन है। अमेरिका किसी भी हालत में तटस्थ मध्यस्थ नहीं बल्कि ज़ायोनी आक्रमण का खुले तौर पर समर्थन करता है।

शेख़ नईम क़ासिम ने कहा कि जो लोग प्रतिरोध करते हैं, वही अपनी जमीन वापस पाते हैं; इसके विपरीत जो सौदेबाज़ी करते हैं, वे अपना वतन खो देते हैं। उन्होंने दक्षिणी लेबनान के ज़ैतून के बागों और सीमा क्षेत्रों में मौजूद किसानों को संप्रभुता का सच्चा रक्षक बताया, जो अपनी ज़मीन के रक्षक और राष्ट्रीय एकता के प्रहरी हैं।

उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि कृषि क्षेत्र की उपेक्षा की जा रही है, जबकि ज़मीन एक वरदान है जिसकी रक्षा और पुनरुद्धार हमारी सभी की ज़िम्मेदारी है। उन्होंने जिहाद-ए-साज़ंदगी जैसे संस्थानों के प्रयासों की सराहना की और सरकार से मांग की कि कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रभावी नीतियाँ अपनाई जाएँ।

हिज़्बुल्लाह के प्रमुख ने अमेरिका की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वॉशिंगटन न केवल ज़ायोनी हमलों को नज़रअंदाज़ करता है बल्कि उन्हें औचित्य भी देता है। उन्होंने सवाल उठाया कि ज़ायोनी उल्लंघनों, नागरिकों की हत्याओं और तबाही पर अमेरिका का क्या रुख है? अमेरिका ने कभी लेबनान के लिए भलाई नहीं चाही।

उन्होंने लेबनान के राष्ट्रपति के उस फ़ैसले की प्रशंसा की जिसमें सेना को ज़ायोनी आक्रमण का जवाब देने का आदेश दिया गया। यह एक ज़िम्मेदाराना रुख है जिसे राष्ट्रीय एकता के द्वारा और मज़बूत किया जाना चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि सेना के समर्थन के लिए ठोस कदम उठाए जाएँ ताकि राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा संभव हो सके।

उन्होंने कहा कि हिज़्बुल्लाह किसी से आदेश नहीं लेता और न ही लेबनान को दुश्मनों की मर्ज़ी के अनुसार चलने देगा। राष्ट्रीय एकता ही वह मार्ग है जिससे देश की आज़ादी संभव है, और प्रतिरोध का मकसद सिर्फ़ और सिर्फ़ वतन की रक्षा है।
 

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