झारखंड की राजधानी रांची की सड़कों पर हाथों में तख्तियां लेकर, मुस्लिम समाज के सैकड़ों युवाओं ने झारखंड मुस्लिम युवा मंच एवं अन्य सामाजिक संगठनों के बैनर तले ‘प्रतिवाद मार्च’ निकाला। हेमंत सोरेन के नेतृत्व में बनी महागठबंधन की सरकार में मुस्लिम समाज का यह पहला प्रतिवाद मार्च है।
रांची के कांके स्थित लॉ यूनिवर्सिटी रिंग रोड से निकाला गया यह प्रतिवाद मार्च कांके बाजारटांड़ चौक पर जाकर खत्म हुआ। इसमें सैकड़ो की संख्या में मुस्लिम समाज के युवा शामिल हुए। यह मार्च झारखंड मुस्लिम युवा मंच एवं अन्य सामाजिक संगठनों के की ओर से अल्पसंख्यक समाज से संबंधित मुद्दों को लेकर निकाला गया। इस मार्च के जरिए सरकार के सामने कई मांगों को मुस्लिम समाज के युवाओं ने रखा है।
प्रतिवाद मार्च में कुछ मांगें रखी गई जिसमे कुछ यह हैं-
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक) की ओर से जारी किए गए आलिम-फाजिल की डिग्री को असंवैधानिक बताने के बाद उनकी मान्यता को रद्द करने के बाद डिग्री पर सरकार से रुख साफ करने की मांग की गई।
झारखंड अलग राज्य होने के 25 सालों के बाद भी मदरसा बोर्ड एवं उर्दू शिक्षा बोर्ड का गठन नहीं किया गया इसका गठन हो।
544 उर्दू स्कूलों का स्टेटस अविलम्ब बहाल किया जाए।
झारखंड में एक खास मॉब लिंचिंग कानून लागू हो और ऐसी घटनाओं पर रोक लगे।
प्रतिवाद मार्च को लेकर झारखंड मुस्लिम युवा मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शाहिद अय्यूबी और महासचिव समीर अली ने कहा कि इस सरकार के गठन में मुस्लिम समाज ने अपना 100 फीसद योगदान दिया है, ऐसे में राज्य सरकार अल्पसंख्यक समाज की जायज मांगो पर जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन किया जाएगा।
3 नवंबर 2025 - 12:45
समाचार कोड: 1746020
इस सरकार के गठन में मुस्लिम समाज ने अपना 100 फीसद योगदान दिया है, ऐसे में राज्य सरकार अल्पसंख्यक समाज की जायज मांगो पर जल्द सकारात्मक निर्णय नहीं लेती है, तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा
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