संयुक्त राष्ट्र में ईरान ने अमेरिका पर पलटवार करते हुए कहा कि हमारी नीति हस्तक्षेप नहीं, शांति पर आधारित है। तेहरान ने वॉशिंगटन के हालिया आरोपों को सख़्ती से खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिका के आरोप बिल्कुल बेबुनियाद और झूठे हैं।
संयुक्त राष्ट्र में ईरान के स्थायी प्रतिनिधि अमीर सईद इरवानी ने अमेरिकी प्रतिनिधि माइकल वॉल्ट्ज़ के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि ईरान की विदेश नीति संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों पर आधारित है, जिनमें अन्य देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और पड़ोसी देशों में हस्तक्षेप न करना शामिल है।
इरवानी ने कहा कि क्षेत्र में अस्थिरता और संघर्षों की असली वजह अमेरिका की ग़ैरक़ानूनी सैन्य मौजूदगी और उसके विनाशकारी कदम हैं।
उन्होंने कहा कि “ईरानी प्रॉक्सी” का झूठा नैरेटिव दरअसल दुनिया का ध्यान असली मुद्दे, यानी अमेरिका और इस्राईल की एकतरफ़ा समर्थन नीति से हटाने के लिए गढ़ा गया है।
ईरान ने इस्राईल को पूरे क्षेत्र और विश्व शांति के लिए गंभीर ख़तरा बताया। इरवानी के अनुसार, ग़ज़्ज़ा में इस्राईल की जनसंहारक जंग में अब तक 68,000 से ज़्यादा फ़लस्तीनियों की मौत हो चुकी है, जबकि हज़ारों लोग लापता हैं।
उन्होंने ग़ज़्ज़ा के अस्पतालों और स्कूलों पर की जा रही सुनियोजित बमबारी को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार क़ानूनों की खुली अवहेलना बताया जिसमें जानबूझकर हमले, भूख को हथियार बनाना, और ग़ैरक़ानूनी नाकेबंदी शामिल हैं।
ईरानी प्रतिनिधि ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के हालिया फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा कि अदालत ने इस्राईल को मानवीय सहायता में रुकावट डालने और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों पर हमले करने का दोषी ठहराया है।
इरवानी ने कहा कि इस्राईल सीरिया, लेबनान और गोलान हाइट्स में भी लगातार आक्रामक कार्रवाई कर रहा है, और यहां तक कि ईरान पर भी बिना किसी उकसावे के हमले किए गए, जिनमें आम नागरिक मारे गए।
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