ईरान की इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर हज़रत आयतुल्लाह खामेनेई ने नमाज़ की अहमियत बयान करते हुए कहा कि यह दुनिया और आखिरत सँवारती है।
आयतुल्लाहिल उज़मा सय्यद अली ख़ामेनेई ने 32वीं राष्ट्रीय नमाज़ कॉन्फ्रेंस के अवसर पर अपने विशेष संदेश में कहा कि नमाज़ इंसान की दुनिया और आख़िरत में नजात का ज़रिया है, और इसकी तालीम और प्रचार धार्मिक संस्थानों, उलमा और मोमिन लोगों की ज़िम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि जब नमाज़ ख़ुशूअ और दिल से अदा की जाती है, तो यह दिल को सुकून देती है, इरादे को मज़बूती, ईमान को गहराई और उम्मीद को ताज़गी प्रदान करती है। इंसान की दुनिया और आख़िरत का दारोमदार इसी हालत पर है, इसलिए क़ुरआन और हदीसों में नमाज़ की ताकीद सभी अहकाम से बढ़कर की गई है।
उन्होंने नमाज़ कॉन्फ्रेंस को देश का एक मुबारक और बेहद उपयोगी आयोजन बताते हुए कहा कि माता-पिता, शिक्षक, दोस्त और समाज के हर तबके को नमाज़ के प्रसार में अपना योगदान देना चाहिए।
आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने धार्मिक और प्रचार संस्थाओं, उलमा और सभी मोमिन लोगों से कहा कि वे नमाज़ की तालीम, उसकी रूहानी लज़्ज़त और अहमियत को समझाने के लिए आधुनिक साधनों और आकर्षक तरीकों का पूरा इस्तेमाल करें।
उन्होंने हुज्जतुल-इस्लाम वल-मुस्लिमीन मोहसिन क़राएती की सेवाओं की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने इस मुबारक पेड़ को लगाया और उसे फलदार बनाया, इसलिए उनका शुक्रिया अदा करना वाजिब है।
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