अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने कहा है कि उनकी रिपोर्टों में ईरान के परमाणु हथियार बनाने के सबूत पर कोई बात नहीं हुई है, और इन रिपोर्टों को ईरान के परमाणु ठिकानों पर सैन्य कार्रवाई के औचित्य के रूप में इस्तेमाल नहीं किया गया।
कोलंबियाई मीडिया से एक ऑनलाइन इंटरव्यू में ग्रोसी ने बताया कि हाल ही में लंबी बातचीत के बाद IAEA के निरीक्षक दोबारा ईरान लौटे और उन्होंने बुशहर परमाणु रिएक्टर का दौरा किया, जो निरीक्षण फिर से शुरू करने का पहला कदम था।
उन्होंने कहा कि ईरान और IAEA को अभी तकनीकी सिद्धांतों और प्रक्रियाओं पर सहमति बनानी है ताकि सभी स्थलों तक पहुँच संभव हो सके, खासकर वे स्थान जो अमेरिकी और जययोनी हमलों में क्षतिग्रस्त हुए हैं, क्योंकि वहाँ मौजूद परमाणु सामग्री अब भी चिंता का कारण है।
ग्रोसी ने आगे कहा कि IAEA ईरान के साथ संवाद फिर से शुरू करने की कोशिश कर रही है, जो अमेरिका और इस्राईल के हमलों के बाद टूट गया था। उन्होंने माना कि सैन्य हमलों का अस्थायी प्रभाव हो सकता है, लेकिन वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म नहीं कर सकते।
उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी रिपोर्टों ने किसी भी देश को ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने की “हरी झंडी” नहीं दी है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि ईरान का अभी भी परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं है, इसलिए जो लोग यह मानते हैं कि यह रिपोर्ट युद्ध का कारण बनी, वे पूरी तरह गलत हैं।
दूसरी ओर, ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराक़्ची ने कहा कि यूरोपीय देशों ने परमाणु मुद्दे पर अपनी विश्वसनीयता खो दी है, और भविष्य की वार्ताओं में उनका भूमिका सीमित हो जाएगी।
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