6 अक्तूबर 2025 - 15:19
ईरान की दो टूक, अमेरिक से वार्ता की कोई योजना नहीं 

ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग किया और एक नया सहयोग फ्रेमवर्क बनाया, जिसे एजेंसी ने स्वीकार भी किया। शुरू में यूरोप ने इसका स्वागत किया, लेकिन बाद में तीनों देश पीछे हट गए और अपना वादा नहीं निभाया।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने कहा है कि अमेरिका से बातचीत की कोई योजना नहीं है। अपनी साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने बताया कि यूरोपीय देशों का हालिया रुख परमाणु बातचीत के भविष्य को बदल चुका है। यूरोपीय “ट्राइका” ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी ने परमाणु समझौते के विवाद समाधान वाले तंत्र का गलत इस्तेमाल किया और अमेरिका की राय को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर थोपने की कोशिश की। जबकि बातचीत के लिए यूरोप की शर्तें पूरी तरह अनुचित थीं।

उन्होंने कहा कि ईरान ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु एजेंसी (IAEA) के साथ सहयोग किया और एक नया सहयोग फ्रेमवर्क बनाया, जिसे एजेंसी ने स्वीकार भी किया। शुरू में यूरोप ने इसका स्वागत किया, लेकिन बाद में तीनों देश पीछे हट गए और अपना वादा नहीं निभाया। इसलिए आने वाले समय की बातचीत पहले जैसी नहीं होगी।

बकाई ने कहा कि यूरोपीय देशों का रवैया पूरी तरह अमेरिकी दबाव और मांगों पर आधारित था। उन्होंने अपने हितों और भरोसे को नज़रअंदाज़ किया।

उन्होंने न्यूयॉर्क में हुए हालिया संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र का ज़िक्र करते हुए कहा कि ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने महासचिव से मुलाकात में यूरोपीय देशों के गलत रवैये और सुरक्षा परिषद के दुरुपयोग पर विस्तार से बात की।

उन्होंने कहा कि प्रस्ताव 2231 के अनुसार ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी सभी पाबंदियां 18 अक्टूबर तक खत्म हो जानी चाहिए थीं और इस मुद्दे को सुरक्षा परिषद के एजेंडे से हटा देना चाहिए था।

बकाई ने ज़ोर देकर कहा कि ईरान हमेशा से अंतरराष्ट्रीय एजेंसी से यही कहता आया है कि वह सिर्फ तकनीकी ज़िम्मेदारियों पर ध्यान दे और अमेरिका या पश्चिमी देशों के प्रभाव से दूर रहे।

उन्होंने साफ़ कहा कि इस समय ईरान का अमेरिका से बातचीत करने का कोई इरादा नहीं है। तेहरान अभी यूरोपीय देशों और अमेरिका के हालिया कदमों के परिणामों का आकलन कर रहा है।

बकाई ने कहा कि कूटनीति एक निरंतर सलाह-मशविरा करने की प्रक्रिया है, और जब भी ईरान को लगेगा कि बातचीत उसके राष्ट्रीय हित में और प्रभावी हो सकती है, तो फैसला उसी आधार पर किया जाएगा।

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