.قالَ(علیه السلام): لَوْ لاَ الدّینُ وَ التُّقى، لَکُنْتُ أدْهَى الْعَرَبِ
.وافى: ج 4، ص 402، س 3
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ.स.
अगर दीन की पाबंदी और तकवे का ख्याल ना होता तो मैं अरब का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ होता।
मैं अरब का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ होता।
.قالَ(علیه السلام): لَوْ لاَ الدّینُ وَ التُّقى، لَکُنْتُ أدْهَى الْعَرَبِ
.وافى: ج 4، ص 402، س 3
अमीरुल मोमेनीन हज़रत अली अ.स.
अगर दीन की पाबंदी और तकवे का ख्याल ना होता तो मैं अरब का सबसे बड़ा राजनीतिज्ञ होता।
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