7 अप्रैल 2024 - 23:38
अठ्ठाईसवीं रमज़ान की दुआ

मुझे दीनी मसाएल की समझ दे कर इज़्ज़त अता कर और सारे वसीलों में से मेरे वसीले को ख़ुद से सबसे क़रीब क़रार दे,


اَللّهُمَّ وَفِّرْ حَظِّی فِیهِ مِنَ النَّوَافِلِ وَ أَکرِمْنِی فِیهِ بِإِحْضَارِ الْمَسَائِلِ وَ قَرِّبْ فِیهِ وَسِیلَتِی إِلَیک مِنْ بَینِ الْوَسَائِلِ یا مَنْ لایشْغَلُهُ إِلْحَاحُ الْمُلِحِّینَ

ख़ुदाया आज के दिन मुस्तहब इबादतों में से मेरे लिए ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा क़रार दे और मुझे दीनी मसाएल की समझ दे कर इज़्ज़त अता कर और सारे वसीलों में से मेरे वसीले को ख़ुद से सबसे क़रीब क़रार दे, ऐ वह जिसे इसरार करने वालों का इसरार दूसरों से ग़ाफ़िल नहीं करता।