इस्राईली थिंक टैंक बेगिन सादात ने एक रिसिर्च में जिसका शीर्षक है “ग़ज़्ज़ा जंग के पाठ” लिखा हैः दो हफ़्ते के भीतर इस्राईल ने जनरल क़ासिम सुलैमानी के सिद्धांतों की निशानियां अपनी आंखों से देखी। ऐसा सिद्धांत जो इस्राईल को आग की जंजीर से घेरने पर आधारित था जिसने इस्राईल को आंतरिक मोर्चे सहित सभी आयाम से घेर लिया है।
जनरन गेर्शोन हाल्कोहेन ने इस रिसर्च में कहा हैः
हमें किस चीज़ की भनक नहीं लगीॽ
इस बात को मानना चाहिए इस्राईल और इस्राईली सेना ने ख़ुद को नई जंग के लिए तय्यार किया था, साथ ही इस्राईली सेना के गुप्तचर विभाग ने इस बात को माना है कि हमास ने इस जंग में हमे हैरत में डाल दिया। हमास ने दर्शा दिया कि इस जंग के लिए फ़िलिस्तीनी गुटों का क्या प्रोग्राम और क्या लक्ष्य थे।
इस रिसर्च में आगे आया है कि क्लासिकल सैन्य ढांचे के विपरीत, हमास और हिज़्बुल्लाह जैसे गुटों ने विशेष रणनीति अपनायी है, जिससे कम से कम वक़्त में जंग के फ़ेज़ में दाख़िल होना उनके लिए मुमकिन हो गया है।
यह इस्राईली जनरल जो इस समय बेगिन सादात थिंक टैंक में रिसर्च कर रहे हैं और इस्राईली सेना में 42 साल सेवा कर चुके हैं, अंत में अपना निष्कर्श पेश करते हैः
ग़ज़्ज़ा के साथ 11 दिन की जंग और इस्राईली समाज के भीतर दंगे और झड़प सहित कई पक्षीय जंग की हालत में सेना के निपटने के क्रियाकलाप की समीक्षा यह बताती है कि इस्राईली सेना का ऑप्रेशन में श्रेष्ठ होने के बावजूद, बारंबार पीछे हटना, हमारे वजूद के लिए ख़तरा पैदा कर देगा।
अगर इस्राईली सेना को ग़ज़्ज़ा से लड़ाई के दौरान उत्तरी मोर्चे पर भी जंग करना पड़ती, तो क्या वह इस्राईल की सीमाओं की रक्षा पातीॽ
क्या उसमें नतानया से कफ़्र साबा के बीच क़रीब 29 किलोमीटर की तटवर्ती पट्टी की रक्षा की क्षमता थीॽ