मरहूम आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद मोहम्मद रेज़ा गुलपाएगानी, आयतुल्लाह हायरी के अच्छे शागिर्दों और चहेतों में से थे उनका जन्म 1316 हिजरी में गोगद गुलपाएगान नामक गांव में एक इल्मी घराने में हुआ, तीन साल की उम्र में मां व बाप के इस दुनिया से कूच कर जाने से दुनिया की कठिनाईयों से बचपन में ही परिचित हो गए।
सोलह साल की उम्र में एराक गए और जब तक एराक का हौज़ा (मदरसा) क़ुम स्थानांतरित नहीं हुआ, आयतुल्लाह हायरी के क्लास में शामिल रहे, आप उनके अच्छे शागिर्दों में गिने जाते थे, पढ़ने के साथ साथ आप हौज़े में विभिन्न किताबें पढ़ाते भी थे। उनकी बुद्धिमानी और इल्म का चर्चा उसी समय से किया जाने लगा था।
आयतुल्लाह बुरुजर्दी के देहांत के बाद आयतुल्लाह गुलपाएगानी को भी मरजा-ए-तक़लीद और फतवा देने वाले उल्मा की सूची में गिना जाने लगा और इस्लामी इंक़ेलाब की शुरुआत से ही इमाम खुमैनी के साथ तानाशाह राजा से संघर्ष करते रहे। आप ने अपनी मुबारक ज़िंदगी में इस्लाम के प्रचार के लिए हजारों उल्मा का प्रशिक्षण किया और कई किताबें आपनी यादगार के रूप में छोड़ गये।
आपने बेहिसाब शैक्षिक एवं सांस्कृतिक व धार्मिक कामों के अलावा क़ुम में एक बड़ा अस्पताल भी बनवाया, जब क़ुम में पर्याप्त मात्रा में मेडिकल स्टोर नहीं थे, इस अस्पताल ने वंचित लोगों को अपनी सेवाएं प्रदान कीं। आज भी यह अस्पताल नई नई मशीनों और नवीन टोक्नॉलोजी के साथ अपनी ज़िम्मेदारी बखूबी निभा रहा है।
आयतुल्लाहिल उज़्मा गुलपाएगानी 98 साल की उम्र में देहांत कर गये और लाखों लोगों के रोने और बिलकने के बीच बड़ी शान से आपका अंतिम संस्कार किया गया। और आप करीमा-ए-अहलेबैत हज़रत फ़ातेमा मासूमा के हरम में दफ़्न हुए।
14 मई 2014 - 19:13
समाचार कोड: 608608

मरहूम आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद मोहम्मद रेज़ा गुलपाएगानी, आयतुल्लाह हायरी के अच्छे शागिर्दों और चहेतों में से थे उनका जन्म 1316 हिजरी में गोगद गुलपाएगान नामक गांव में एक इल्मी घराने में हुई, तीन साल की उम्र में मां व बाप के इस दुनिया से कूच कर जाने से दुनिया की कठिनाईयों से बचपन में ही परिचित हो गए।