5 दिसंबर 2025 - 13:54
सऊदी अरब और यूएई के बीच यमन में शीत युद्ध; अमेरिका और ब्रिटेन की साजिशें चरम पर

इस प्रांत में सक्रिय चार प्रमुख शक्तियों में अमेरिका अल-रियान हवाई अड्डे और अन्य रणनीतिक स्थानों पर कब्जा जमाए है, वहीं यूएई.........

यमन के हज़्रामौत प्रांत में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन और इसके रणनीतिक स्थान को लेकर सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा के बीच अमेरिका और ब्रिटेन की नज़र भी इस रणनीतिक क्षेत्र पर गडी हुई हैं।
हज़्रामौत यमन के कुल क्षेत्रफल का 36% और देश के तेल भंडार का 70% हिस्सा रखता है और यही संपन्नता यहाँ अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का कारण बन गई है। सऊदी अरब और यूएई, यमन में अपने प्रॉक्सी समूहों के माध्यम से, इस प्रांत पर नियंत्रण पाने की कोशिश कर रहे हैं।
इधर, दक्षिणी यमन को अलग करने की माँग करने वाली यूएई-समर्थित सदर्न ट्रांजिशनल काउंसिल (एसटीसी) ने हज़्रामौत की ओर सैन्य टुकड़ियाँ भेजी हैं। वहीं, सऊदी-प्रभावित हज़्रामौत ट्राइबल अलायंस ने इसे 'आक्रमण' बताते हुए विरोध किया है। इसके अलावा, सरकारी सेना से जुड़े तत्व भी मौजूद हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
रिपोर्टों के मुताबिक, एसटीसी बल हज़्रामौत की राजधानी सियून और आसपास के इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। इस प्रांत में सक्रिय चार प्रमुख शक्तियों में अमेरिका अल-रियान हवाई अड्डे और अन्य रणनीतिक स्थानों पर कब्जा जमाए है, वहीं यूएई एसटीसी के माध्यम से सैन्य, राजनीतिक और जनसांख्यिकीय नियंत्रण स्थापित करने की कोशिश में है जबकि सऊदी अरब हज़्रामौत पर कब्ज़ा या इसे एक अलग संघीय इकाई बनाने की महत्वाकांक्षा पाले हुए है वही यमन जनांदोलन अंसारुल्लाह देश की अखंडता को बचाते हुए प्रांत में राष्ट्रीय सरकार की सत्ता को बहाल करने की मुहिम में लगा हुआ है
विश्लेषकों का मानना है कि यमन की एकता और भविष्य के लिए यह प्रतिस्पर्धा एक बड़ा खतरा है। सऊदी अरब अपने हितों के लिए यूएई और उसके प्रॉक्सी समूहों को वास्तविक चुनौती मान रहा है। सऊदी अरब का हज़्रामौत से होकर अरब सागर तक एक तेल पाइपलाइन बनाने का सपना भी इस प्रतिस्पर्धा का एक कारक है। यमन की जनांदोलन समर्थित केन्द्रीय सरकार ने इन कोशिशों को देश की संप्रभुता और संसाधनों पर हमला बताया है।

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