13 अक्तूबर 2025 - 15:15
शैतान के वासवसों के मुक़ाबिल मोमिन की जिम्मेदारी

इसका मतलब यह है कि हमें हमेशा शैतान के धोखों और बुरे विचारों से अल्लाह से पनाह मांगनी चाहिए , ताकि हम उसके फरेब और गुमराही से सुरक्षित रह सकें।

हर इंसान को चाहिए कि वह अल्लाह तआला की इस चेतावनी को, जो सूरह बकरा की आयत 208 में दी गई है, गौर से सुने और अमल करे:

« يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا ادْخُلُوا فِي السِّلْمِ كَافَّةً وَلَا تَتَّبِعُوا خُطُوَاتِ الشَّيْطَانِ إِنَّهُ لَكُمْ عَدُوٌّ مُبِينٌ»

“ऐ ईमान लाने वालों! तुम सब के सब पूरी तरह अल्लाह के आगे सरे तस्लीम खम कर दो, और शैतान के नक़्शे-कदम पर मत चलो, क्योंकि वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।”

यानी, अल्लाह चाहता है कि इंसान आधा-अधूरा नहीं, बल्कि पूरी तरह उसके हुक्म के आगे सर झुकाए और शैतान की चालों से बचे।

इसी तरह, सूरह नास की आयतों को बार-बार पढ़ना चाहिए:

« قُلْ أَعُوذُ بِرَبِّ النَّاسِ . مَلِكِ النَّاسِ .إِلَـٰهِ النَّاسِ .مِنْ شَرِّ الْوَسْوَاسِ الْخَنَّاسِ .الَّذِي يُوَسْوِسُ فِي صُدُورِ النَّاسِ .مِنَ الْجِنَّةِ وَالنَّاسِ»

“कहो: मैं पनाह मांगता हूं लोगों के परवरदिगार से, लोगों के बादशाह से, लोगों के माबूद से, उस छिपे हुए वसवसा डालने वाले के शर से, जो इंसानों के सीने में वसवसा डालता है — चाहे वह जिन में से हो या इंसानों में से।”

इसका मतलब यह है कि हमें हमेशा शैतान के धोखों और बुरे विचारों से अल्लाह से पनाह मांगनी चाहिए , ताकि हम उसके फरेब और गुमराही से सुरक्षित रह सकें।

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