प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक़, अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन एक बयान जारी करके घोषणा की है कि, उसने शुक्रवार को हाइपरसोनिक मिसाइल की एक निरस्त्र प्रतिकृति का सफल परीक्षण किया है। अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, इस मिसाइल की गति ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना अधिक होगी। अमेरिकी अधिकारियों के बयान मुताबिक़, यह मिसाइल 6,200 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक गति से दुश्मन पर हमला करेगी। यह बैलेस्टिक मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होगी। पेंटागन ने अपने बयान में कहा है कि, अमेरिका का यह क़दम रूस के जवाब में उठाया गया क़दम है। याद रहे कि, रूस ने हाइपरसोनिक मिसाइल बनाकर उसकी तैनाती भी कर दी है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, इस परीक्षण से पहले अक्टूबर, 2017 में अमेरिकी सेना एवं नौसेना ने पहला संयुक्त परीक्षण किया था। तब इस प्रतिकृति मिसाइल ने दर्शाया था कि वह हाइपरसोनिक रफ्तार से लक्ष्य की दिशा में उड़ सकती है। अमेरिका के वाइस एडमिरल जॉनी वुल्फ ने एक बयान में कहा, ‘‘ आज हमने अपने डिज़ाइन की प्रतिपुष्टि की और अब हम हाइपर सोनिक प्रहार क्षमता की दिशा में बढ़ने के लिए अगले चरण की ओर क़दम बढ़ाने के लिए तैयार हैं।’’
उल्लेखनीय है कि, हाइपरसोनिक मिसाइल को दुनिया की सबसे तेज़ हमलावर मिसाइल माना जाता है। इससे किसी भी युद्ध का नक्शा बदला जा सकता है। इसकी गति रडार और एयर डिफेंस सिस्टम को भी चकमा दे सकती है।
इस बीच दुनिया भर के कई टीकाकारों ने अमेरिका द्वारा हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण के समय पर सवाल उठाया है। टीकाकारों का कहना है कि एक ओर जहां दुनिया कोरोना वायरस जैसी घातक बीमारी से जूझ रही है और दुनिया का लगभग हर देश इससे त्रस्त है, वहीं अमेरिका मिसाइलों का टेस्ट करने में मस्त है। टीकाकारों के मुताबिक़, स्वयं अमेरिका के पचास के पाचसों राज्य कोरोना वायरस से ग्रस्त हैं और लगातार इस बीमारी के कारण अमेरिका में मरने वालों का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। ऐसी स्थिति में अमेरिका द्वारा हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया जाना, यह दर्शाता है कि अमेरिका न केवल दुनिया बल्कि अपने देश के नागरिकों के भी स्वास्थ्य के प्रति बिल्कुल गंभीर नहीं है।