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सीरिया संकट में अमेरिका की भूमिका, ईरान था मुख्य लक्ष्य
अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस सौ साल से मध्य पूर्व को अस्थिर करने के लिए "फूट डालो और राज करो" की नीति का इस्तेमाल कर रहे हैं। यदि आप सोचते हैं कि अमेरिका ईरान को संतुलित करने में आपकी मदद करने आया है, तो आप बहुत गलत हैं
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इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स.
आपने इस्लामी सिद्धांत और उसूलों को फैलाने के साथ-साथ अपने व्यवहारिक जीवन के माध्यम से भी एक मुकम्मल इस्लामी जिंदगी का नमूना पेश किया। आपकी पाकीजा जिंदगी सिर्फ उस ज़माने के मुसलमान के लिए ही नहीं बल्कि आज भी इस्लामी उम्मत के लिए नमूना-ए-अम्ल और मशअले राह है।
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डेली हदीस
औलाद ग़लती करे तो कैसा बर्ताव करें ?
नाराज़गी जताओ, लेकिन यह नाराज़गी भी बहुत देर तक ना होनी चाहिए।
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इमाम जाफ़र सादिक़ अ.स.
ल्लामा मजलिसी लिखते हैं कि, जनाब रसूले ख़ुदा (स) ने अपनी ज़िंदगी मे हज़रत जाफ़र बिन मुहम्मद (अ) को सादिक़ की उपाधि दी थी।
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डेली हदीस
नसीहत करने का सहीह तरीक़ा
जो उसे सरेआम नसीहत तो ऐसा है जैसे उसने उसका अपमान किया हो और उसकी बेइज़्ज़ती की हो।
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डेली हदीस
मुनाफिक की निशानियाँ
...........वह मुनफ़िक है फिर चाहे वह इंसान नमाज़ रोज़े का पाबंद ही क्यों न हो ।
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डेली हदीस
मौत से पहले उसकी तैयारी
उसकी सख्ती छा जाने से पहले अपने फरीज़े और आमाल पूरे कर दो, उसके आने से पहले उसकी
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डेली हदीस
इमाम के वुजूद की बरकत
ज़मीन अपने रहने वालों को इस तरह उलट पलट देगी जिस तरह समंदर की लहरें अपने अंदर रहने वालों को पलट देती हैं ।
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डेली हदीस
लोभ और लालच का नुक़सान
ग़ुलाम और अधीन लोगों की तीन निशानी है, स्वतंत्र ग़ुलाम,इच्छाओं का ग़ुलाम और लालच का ग़ुलाम।
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डेली हदीस
अल्लाह से मांगने का तरीका
उसके बाद अपनी हाजत तलब करे तो उसने अपनी खैरो भलाई को उस जगह से तलब किया है जहाँ से उसका गुमान था और जो शख्स अपनी खैरो भलाई को ऐसी जगह से तलब करे वो न उम्मीद और मायूस नहीं होगा
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क़ुरआनी चर्चा
अद्ल और अख़लाक़े इलाही
इस्लाम का मार्ग संयम का मार्ग है, न्याय का मार्ग है। अद्ल और न्याय का सार्वभौमिक अर्थ है, सभी क्षेत्रों में न्याय - अर्थात हर चीज़ को उसके स्थान पर रखना -
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डेली हदीस
अधिक दुआ करने का कारण
जब इंसान अधिक दुआ करता है और उस पर कोई मुसीबत आना होती है और वह दुआ करे तो कहा जाएगा कि यह तो जानी पहचानी आवाज़ है
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डेली हदीस
वह बंदा खुदा से बहुत दूर है
......लेकिन उसकी ग़लतियों को अपने पास संजो कर रखे ताकि एक दिन उसके माध्यम से उसकी आलोचना करे।
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हदीस
सब्र और साबिर का मक़ाम
जो इताअत पर सब्र दिखाता है, अल्लाह उसे 600 दर्जे अता करता है जिनमें हर दर्जे का दूसरे दर्जे के बीच फ़ासला, ज़मीन की तह से अर्श तक का फ़ासला है।
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डेली हदीस
इमाम ज़माना अ.स. और अहले बैत के शिया
और न हीं तुम्हें भूलते हैं, अगर ऐसा ना हो तो मुश्किलें तुम्हें घेर लें और दुश्मन तुम्हें मिटा दें ।
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डेली हदीस
सत्ताधारी ध्यान दें
हर वह हुकूमत जो दीन के दायरे में हो वह अजय है और हर वह नेमत जिसका शुक्र अदा किया जाए वह कभी बर्बाद नहीं होती।
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डेली हदीस
इज़्ज़त और आबरू की हिफ़ाज़त
और उनकी बेइज़्ज़ती कर रहा है तो कोशिश करो कि वह तुम्हें ना पहचाने । अर्थात ऐसे इंसान से दूर ही दूर रहो ।
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ईदुल फ़ितर
ईदुल फ़ितर ईद का दिन या अहलेबैत अ.स. के ग़म का?
अगर कहा जाए कि ईद का दिन इमाम अली अ.स. का दसवां है इसलिए ग़म और सोग मनाना चाहिए तो इसके जवाब में कहा जा सकता है कि हमें केवल इमाम हुसैन अ.स. के चेहलुम के दिन को सोग के तौर पर मनाने के लिए ताकीद की गई है, इसके अलावा किसी भी मासूम अ.स. के क़ुल, दसवें या चेहलुम मनाने पर कोई दलील नहीं है, जेहालत और कट्टरता की बुनियाद पर ईद के दिनों को ग़म और सोग के दिन बताने वालों को इन बातों की ओर भी ध्यान रखना चाहिए... ** 18 ज़िलहिज्जा (ईदे ग़दीर) को इमाम बाक़िर अ.स. और हज़रत मुस्लिम इब्ने अक़ील का दसवां है।
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क़ुद्स दिवस
इमाम ख़ुमैनी की निगाह में क़ुद्स दिवस का महत्व
कि इस्राईल के पीछे अमरीका है, लेकिन अरब देश यह क्यों नहीं सोचते कि अगर सारे अरब देश एक आवाज़ में एक साथ विरोध करेंगे तो अमरीका भी कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा,
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डेली हदीस
सबसे बड़ी इज्जत और जिल्लत
इसके माध्यम से कयामत के दिन और ज़िंदगी के कामों की मारेफत हासिल होती है।