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डेली हदीस
सच्ची मारेफ़त का नतीजा
.......... वह इस फ़ानी दुनिया से अपनी इच्छाओं और ज़िंदगी का रुख फेर लेता है
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डेली हदीस
इल्म बेहतर है या माल ?
मालो दौलत और धन संपदा से बढ़ा आदमी उसके नष्ट होने के साथ ही नष्ट हो जाता है।
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डैलयी हदीस
इमाम ए क़ाइम और रसूले अकरम स.अ.
उनकी कुन्नीयत मेरी कुन्नीयत है, उनका अखलाक़ मेरा अखलाक़ है, और उनका तरीक़ा मेरा तरीक़ा है।
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हिज़्बुलाह और लेबनान पर दबाव बढ़ाने में जुटे अमेरिका और इस्राईल
इस्राईल का दावा है कि हिज़्बुल्लाह लगातार अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है, जबकि हिज़्बुल्लाह का कहना है कि समय आने पर दुश्मन का जवाब देगा।
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डेली हदीस
इच्छा और आरज़ू की हकीकत
इसलिए ख्वाहिश और आरज़ू को झूठा मानिए; क्योंकि खवाहिशें धोखा देती है और जो इच्छुक और ख्वाहिशमंद होता है
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डेली हदीस
अल्लाह के लिए दोस्ती और दुश्मनी
अपनी ज़बान को ज़िक्रे इलाही में मसरूफ़ रखो, अल्लाह के लिए दोस्ती करो और उसके लिए ही दुश्मनी .....।
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डेली हदीस
अज़ान और इक़ामत की फ़ज़ीलत
..... और जब आप केवल 'इक़ामा' कहेंगे, तो आपके पीछे फ़रिश्तों की एक सफ नमाज़ पढ़ती है।"
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डेली हदीस
मुसाफ़िरों की खिदमत का सिला
जो कोई रास्ते के किनारे राहगीरों के लिए कोई ठिकाना बनाए, अल्लाह उसे कयामत के दिन.....
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डेली हदीस
अँबिया की सिफ़ात
उनके दिलों को इतनी क़नाअत दी कि उन्हें दूसरों की चीज़ों की ज़रूरत महसूस न हो।
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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ) की शहादत अहले सुन्नत उलमा की निगाह में
इस हादसे के कुछ दिन बाद उमर ने अबू बक्र से कहा: चलो फ़ातिमा (स.अ) के पास चलें क्योंकि हमने उन्हें नाराज़ किया है, यह दोनों आपसी मशविरे के बाद जनाबे फ़ातिमा (स.अ) की चौखट पर पहुंचे, लाख कोशिशें कर लीं लेकिन हज़रत फ़ातिमा (स.अ) ने इन लोगों से मुलाक़ात करने से मना कर दिया, फिर मजबूर हो कर हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम से कहा (ताकि वह इमाम अली के कहने से हज़रत फ़ातिमा ज़हरा उनसे बात करें, इस बात से यह समझा जा सकता है कि यह दोनों जानते थे कि अगर हज़रत फ़ातिमा नाराज़ रहीं तो आख़ेरत तो बाद में इनकी दुनिया भी बर्बाद है) इमाम अली अलैहिस्सलाम के कहने के बाद
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अहले बैत अ.स.
हज़रत फ़ातेमा और आपका जिहाद
या कुछ लोगों का सोचना है कि जो रहनुमा है...अगर वह औरत है, तो घरेलू औरत नहीं रह सकती...उन्हें लगता है कि इनका आपस में विरोधाभास है।
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डेली हदीस
तौबा करने वाले और मुजाहेदीन
..... मुजाहेदीन की कामयाबी और उनके अजरो सवाब की तुझ से तलबगार हूँ।
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डेली हदीस
रावियाने हदीस का मक़ाम
जो हमारी रिवायतों को नक़्ल करे और हमारे शियों के दिलों को मजबूत .....
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अहले बैत
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा [स.अ.] का एहतराम
और पैग़म्बर [स.अ.] थोड़ा सा एहतरामन खड़े हो जाते हों.. नहीं! ऐसा नहीं होता था।... बल्कि लिखा हुआ है कि आप۔۔۔۔۔۔۔۔
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डेली हदीस
किसकी नमाज़ कुबूल है ?
..... मगर उसकी जिसने तहारत और मुकम्मल एहतेमाम किया हो,बिना शक और वसवसे
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डेली हदीस
जैसा करोगे वैसा पाओगे
नेकी बोए खुशनुदी की फसल काटता है, जो कोई बुराई बोए पशिमानी और शर्मिंदगी ......
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डेली हदीस
अल्लाह और उसकी रहमत
जो मांगने वाले को खाली नहीं लौटाता और जिस से उम्मीद रखने वाला कभी निराश नहीं होता।
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डेली हदीस
मुसीबतें आसान हो जाती हैं
कोई रोशन दलील और हिदायत होती है, उसके लिए दुनिया की सारी परेशानियाँ हल्की हो.....
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डेली हदीस
हिकमत से खाली दिल
.................जिहालत की हालत में मत मरना, क्योंकि अल्लाह जिहालत को कोई.......
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डेली हदीस
अक्लमंद इंसान के लिए ज़रूरी नसीहत
ताकि वह अपनी ज़बान सँभाले और अपने ज़माने के लोगों को समझ सके।