आज़रबैजान और आर्मेनिया के बीच चल रहे तनाव और सशस्त्र झड़पों के बीच, फ्रांस ने इस ईसाई देश के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाने में रुचि व्यक्त की है।
संघर्ष में रूसी मध्यस्थता को बेअसर करने के उद्देश्य से पश्चिमी देशों द्वारा आर्मेनिया और आज़रबैजान गणराज्य के बीच संघर्ष में हस्तक्षेप करने के प्रयासों के बाद, पेरिस ने अर्मेनिया का समर्थन करने के अपने फैसले की घोषणा की है।
दोनों देशों के बीच मतभेदों को हवा देते हुए, फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने आर्मेनिया में अपने देश के दूतावास में एक सैन्य अधिकारी की नियुक्ति की ओर इशारा करते हुए कहा कि पेरिस आर्मेनिया के साथ सैन्य और रक्षा सहयोग को मजबूत कर रहा है।
वहीं, रूस ने अर्मेनियाई प्रधानमंत्री की बयानबाजी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये बातअस्वीकार्य हैं। रूस पर आरोप लगाने का आर्मेनिया का कदम वास्तव में देश की आंतरिक और विदेश नीति की विफलता के लिए जिम्मेदारी से बचने का एक प्रयास है। प्रधानमंत्री के शब्द वास्तव में क्षेत्र में पश्चिमी नीतियों के बढ़ते प्रभाव का प्रतिबिंब हैं। उनकी हरकतों से रूस के साथ अर्मेनिया के सदियों पुराने रिश्ते खत्म हो जाएंगे और उसे एहसास होना चाहिए कि वह बहुत बड़ी गलती कर रहा है।
गौरतलब है कि कल काराबाख स्थिति पर अपने नवीनतम रुख में, आर्मेनिया के प्रधान मंत्री ने अजरबैजान गणराज्य पर "जातीय सफाए" और रूस पर क्षेत्र में अर्मेनियाई लोगों की सुरक्षा की गारंटी देने में विफल रहने का आरोप लगाया था।