सुप्रीम लीडर के दूसरे बेटे सय्यद मुज्तबा ख़ामेनई मोर्चे पर रहे और कई आप्रेशन में हिस्सा ले चुके हैं। मुज्तबा ख़ामेनई दूसरे बेटों के मुक़ाबले में ज़्यादा मशहूर हैं।
सुप्रीम लीडर के छ: बच्चे हैं, दो लड़कियां और चार लड़के। बेटियों के नाम बुशरा और हुदा हैं। सय्यद मुस्तफ़ा और सय्यद मुज्तबा ईरान, ईराक़ जंग के दौरान आठ साल मोर्चे पर रहे हैं।
इमाम ख़ुमैनी रह. की तरह आपनें भी अपने बच्चों को सियासत और बिज़नेस से दूर रखा है और उन्हें नसीहत की है कि बिज़नेस आदि न करें। आपके ऑफ़िस के रिलेशन डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसीडेंट हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अहमद मरवी इस हवाले से कहते हैं, आपके चार बेटे हैं और चारों दीनी तालिबे इल्म (मौलाना) और अमामे वाले हैं और मेहनत से पढ़ते हैं। मेरा उनसे सम्पर्क है यह मेरा सौभाग्य है। हम बैठते हैं, बातें करते हैं। कभी ऐसा नहीं हुआ कि यह लोग पैसे आदि की बातें करें। बिल्कुल आम से लगते हैं जैसे कि इनके बाप भी आम आदमी हैं।
ऑफ़िस में उनके पास कोई पोस्ट नहीं है बस किताबें छपवाने में साथ देते हैं, कोई पद उनके पास नहीं है और न ही कहीं और काम कर रहे हैं। बस पढ़ाई और दीनी कामों में लगे रहते हैं। पढ़ाई में निश्चित तौर पर बहुत अच्छे हैं, काफ़ी आगे बढ़े हैं।
यादगार क़ुरआन
27 डिवीज़न ज़ुलफ़ेक़ार ब्रीगेड की आर. पी. जी. यूनिट की कमांडर अली असग़र सफ़ख़ानी जो बाद में शहादत बटालियन के कमांडर बने 1 जुलाई 1986 की सुबह मोर्टार का टुकड़ा लगने से शहीद हो गए। उनके पिता कहते हैं, “अली असग़र की शहादत के बाद ख़ामेनई साहब अपने बेटों के साथ हमारे घर आए थे। उनके बड़े बेटे मुस्तफ़ा साहब जंग में अली असग़र के साथ थे, जब मेरा बेटा शहीद हुआ तो वह भी वहीं थे। शहादत का हाल सुनाते हुए उन्होंने कहा कि हम फ़्रट लाईन से लौट रहे थे कि मैंने अली असग़र से कहा कि आओ मोर्चे में चले चलते हैं। तो उन्होंने जवाब दिया कि आप चलिये मैं अभी आता हूँ। मुस्तफ़ा साहब नें बताया कि वह कुछ ही क़दम आगे बढ़े थे कि एक धमाका हो गया और बताया गया कि सफ़ख़ानी को गोली लगी है। मैंने आगे बढ़कर देखा तो वह ख़ून में नहाए हुए थे और उनका क़ुरआन भी किनारे गिरा हुआ था। उसके बाद मुस्तफ़ा साहब नें मुझसे कहा कि अगर आपकी इजाज़त हो तो यह क़ुरआन यादगार के तौर पर मैं रख लूं”।
सय्यद मुस्तफ़ा आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुश़वक़्त के दामाद हैं जिनका हाल ही में मक्के में देहांत हुआ है।
बिज़नेस
सुप्रीम लीडर के बच्चों के बिज़नेस आदि के बारे में दुश्मन मीडिया काफ़ी अफ़वाहें फैलाती रही है। हुज्जतुल इस्लाम मरवी, मुस्तफ़ा ख़ामेनई साहब की ज़िन्दगी के बारे में एक घटना बयान करते हैं:
“आप के बड़े बेटे मुस्तफ़ा साहब नें जब शादी की तो क़ुम में पढ़ रहे थे। वहाँ उन्होंने किराए पर घर ले रखा था। अब भी किराए पर ही रह रहे हैं। एक बार हमें दोपहर के खाने पर बुलाया। हम उनके घर जाने लगे तो चूँकि अभी उनकी शादी को एक साल भी नहीं हुआ था, कुछ ही महीने हुए थे इसलिये हमनें सोचा कि ख़ाली हाथ क्या जाएं, एक मामूली सा गुलदस्ता ख़रीद लिया। घर पहुँचे तो हैरान रह गए कि यह एक दूल्हा का घर है? सुप्रीम लीडर और मुल्क की सबसे बड़ी हस्ती के बेटे का घर तो जाने दीजिए यह एक आम दूल्हा का घर भी नहीं लग रहा था। दूल्हा दुल्हन शुरू में अपना घर काफ़ी सजा के रखते हैं और लम्बे टाइम तक उनका घर सजा रहता है। मगर यहां तो यह लग ही नहीं रहा था कि यहां कोई नया जोड़ा रहता है। बहुत ही सादा ज़िन्दगी। दो मशीन की बनी क़ालीनें और वह भी बारह मीटर वाली नहीं बल्कि छ: मीटर वाली छोटी। मैं उन चीज़ों पर ग़ौर कर रहा था, आस पास देख रहा था, जहाँ तक बस में था घर की हालत देख रहा था। दो छोटे कारपेट बिछे थे। बाक़ी घर में मोकेट था, दो तीन मामूली गाव तकिए और वह भी सोफ़े बजाए स्पंच के। न कोई चमक दमक, न सजावट, कुछ भी नहीं। आपके बच्चे बहुत सादा ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे।”
वह कहते हैं:
“ऑफ़िस में उनके पास कोई पद नहीं है बस किताबें छपवानें में साथ देते हैं, कोई पोस्ट उनके पास नहीं है और नाहि कहीं और कोई काम कर रहे हैं। बस पढ़ते और दीनी कामों में लगे रहते हैं। मुस्तफ़ा साहब तो इस समय क़ुम में हाई लेवेल की क्लासेज़ पढ़ा रहे हैं, किफ़ाया और मकासिब पढ़ाते हैं।”
सय्यद मुज्तबा के ख़िलाफ़ झूठा प्रोपेगंडा
सुप्रीम लीडर के दूसरे बेटे सय्यद मुज्तबा ख़ामेनई भी जंग में आगे आगे रहे और कई आप्रेशन्ज़ में हिस्सा ले चुके हैं। दूसरे बेटो के मुक़ाबले में आपका नाम ज़्यादा सामने आता है। दुश्मन मीडिया उनके बारे में निराधार दावे करती रहती है। पिछले महीने डाक्टर हद्दाद आदिल, मिम्बर ऑफ़ पार्लियामेंट नें इसफ़हान में अपनी एक स्पीच में मुज्तबा साहब के बारे में फैलाई जा रही अफ़वाहों के हवाले से कहा कि लोगों में ग़लत सोच फैलाने और उन्हें सुप्रीम लीडर से दूर करने के लिये यह सारे हथकण्डे अपनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा:
“2009 के दंगों के दौरान बी. बी. सी. नें रिपोर्ट दी थी कि मुज्तबा साहब का सोने का एक ट्रक बार्डर पार कर रहा था कि टर्की नें पकड़ लिया या कहा जाता है कि उन्होंने अपने बच्चे की पैदाइश के लिये लन्दन में एक अस्पताल और एक होटल बुक किया था और उसके लिये एक मिलियन पाउण्ड दिए थे। जी नहीं! मैंने मुज्तबा साहब की ज़िन्दगी नज़दीक से देखी है। मैं भी तो उस बच्चे का नाना हूँ जो तेहरान के एक आम अस्पताल में पैदा हुआ और उसके लिये केवल पाँच लाख तूमान (दस हज़ार रुपये) लगे। लेडी डाक्टर भी पूर्व स्वास्थ मंत्री दस्तजरदी थीं। ऐसी अफ़वाहें फैला के कि सुप्रीम लीडर के लड़के ट्रकों के हिसाब से सोना बाहर भिजवा रहे हैं, विलायते फ़क़ीह की शान घटाने की कोशिश की जा रही है।”
निकाह
मुज्तबा ख़ामेनई डाक्टर ग़ुलाम अली हद्दाद आदिल के दामाद हैं। हद्दाद आदिल साहब सुप्रीम लीडर के बेटे और अपनी बेटी की शादी के बारे में बताते हैं:
“1999 की बात है कि एक औरत नें हमारे घर फ़ौन कर के कहा कि वह लोग हमारे घर रिश्ते के लिये आना चाहते हैं। मेरी बीवी नें कहा कि हमारी लड़की अभी कॉलेज में पढ़ रही है और पढ़ाई पूरी करना चाहती है। उधर से कहा गया कि अगर सम्भव हो तो हम लोग आकर लड़की देख लें, बाक़ी बातें बाद में हो जाएंगी। मेरी बीवी नें मना कर दिया लेकिन साथ ही साथ पूछ लिया कि आप हैं कौन? उन्होंने जवाब दिया मैं सुप्रीम लीडर की बीवी हूँ। फिर क्या था? परेशान हो गईं, दोबारा सलाम किया और कहा कि हम इससे पहले सब को मना कर चुके हैं लेकिन आप रुक जाइये मैं डाक्टर साहब से बात कर के बताउंगी। मुझ से बात की तो मैंने कहा कि वह लोग घर के बजाए कालेज आ जाएं और वहां बिना इसके कि हमारी लड़की को पता चले उसे देख लें। इस तरह अगर उन्हें हमारी बेटी पसंद न आई तो उसे कोई दुख नहीं होगा। (इस लिये कि उसे पता ही नहीं चलेगा कि ऐसा कुछ हुआ है) पहले से तय प्रोग्राम के अनुसार सुप्रीम लीडर की बीवी कालेज आईं और वहाँ ऑफ़िस में हमारी लड़की को देख कर चली गईं। कुछ दिनों बाद मैं किसी काम के लिये सुप्रीम लीडर की सेवा में उपस्थित हुआ तो उन्होंने कहा कि हमारी बीवी नें इस्तेख़ारा किया है, जवाब अच्छा नहीं है।
एक साल के बाद आपकी बीवी नें फिर फ़ोन किया और कहा कि हम लोग रिश्ते के लिये आना चाहते हैं। मेरी बीवी नें पूछा क्या हुआ? आपका इरादा कैसे बदला है? सुप्रीम लीडर नें कहा था कि उनकी बीवी इस्तेख़ारे पर बहुत यक़ीन रखती हैं और इस्तेख़ारा सही नहीं आया है। उन्होंने जवाब दिया चूँकि आपकी लड़की, पर्दे की पाबंद, इंटिलीजेंस और अच्छी है इसलिये मैंने दोबारा इस्तेख़ारा किया तो बेहतर आया इसलिये अब अगर आप लोगों की इजाज़त हो तो हम रिश्ते के लिये आ जाएं”।
हद्दाद आदिल साहब आगे चलकर बताते हैं:
“कुछ दिनों बाद मैं जब सुप्रीम लीडर की सेवा में पहुँचा तो वह कहने लगे कि डाक्टर साहब! हम लोग रिश्तेदार बनने वाले हैं। मैंने कहा कैसे? फ़रमाया घर वालों नें पसंद कर लिया है। बातचीत के बाद शादी का फ़ैसला कर लिया है। अब आपकी राय क्या है? मैंने कहा हुज़ूर! हम आपके अधिकार में हैं। आपनें फ़रमाया आप डाक्टर और यूनिवर्सिटी प्रोफ्रेसर हैं, आपकी वाइफ़ का भी यही हाल है और एक उचित ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। लेकिन मेरी ज़िन्दगी ऐसी नहीं है, किताबों को छोड़कर मेरा सारा सामान एक जीप पर आ जाएगा। यहाँ दो कमरे अन्दर और एक कमरा बाहर का है जहाँ सरकारी लोग मुझसे मिलते हैं। मेरे पास घर ख़रीदनें के लिये पैसे नहीं हैं। हमनें एक घर किराये पर ले रखा है जिसकी एक मंज़िल पर मुस्तफ़ा और एक मंज़िल पर मुज्तबा रहते हैं। आप अपनी बेटी से बात कीजिए वह यह न सोचे कि सुप्रीम लीडर की बहू बन रही है तो नहीं मालूम क्या क्या मिलेगा। हमारी ज़िन्दगी यही है। आप हमसे बेहतर ज़िन्दगी गुज़ार रहे हैं। आपकी बेटी अगर हमारे साथ ज़िन्दगी गुज़ारना चाहती है तो यह थोड़ा मुश्किल है। मुज्तबा अमामे वाले भी नहीं हैं। क़ुम जाकर पढ़ना चाहते हैं, मौलाना बनेंगे। यह सब उससे बता दीजिए”।
पब्लिकेशन ऑफ़िस
आयतुल्लाह ख़ामेनई के तीसरे बेटे सय्यद मसऊद ईरान के पूर्व विदेश मंत्री ख़राज़ी के रिश्तेदार और एक्सपर्ट काउंसिल और हौज़ए इल्मिया क़ुम के जामए मुदर्रेसीन (टीचर सुसाईटी) के मिम्बर आयतुल्लाह ख़राज़ी के दामाद हैं। सय्यद मसऊद ही सबसे ज़्यादा अपने पिता की बायोग्रॉफ़ी इकट्ठा करने और उनकी किताबे आदि छपवाने की कोशिशें कर रहे हैं।
सुप्रीम लीडर के चौथे बेटे सय्यद मीसम ख़ामेनई भी तेहरान के हौज़ए इल्मिया (दारुल उलूम) के पढ़े और ख़ुद आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनई के दर्से ख़ारिज (एज्तेहाद लेक्चर्स) में शिरकत करते रहे हैं। आप भी सुप्रीम लीडर के पब्लिकेशन डिपार्टमेंट से जुड़े हैं। आपनें तेहरान के एक दीनदार बिज़नेस मैन महमूद लूलाचियान की बेटी से शादी की है।
सुप्रीम लीडर की एक बेटी आपके ऑफ़िस के हेड आयतुल्लाह मुहम्मदी गुलपाएगानी के बेटे से बियाही हैं जो फ़्रेंच में लॉ (क़ानून) पढ़ाते हैं।
आपकी दूसरी बेटी की शादी तेहरान के एक आलिमेदीन आयतुल्लाह बाक़री कनी के बेटे से हुई है।