जब हज़रत ज़हरा सलामुल्लाहे अलैहा की इबादत और आध्यात्मिकता की बात होती है तो, कुछ लोग ख़याल करते हैं कि जो शख़्स इबादत में मसरूफ़ रहता है, एक इबादत करने वाला, अल्लाह के सामने गिड़गिड़ाने वाला, दुआ करने वाला, अल्लाह को याद करने वाला, एक लीडर और रहनुमा नहीं हो सकता।
या कुछ लोगों का सोचना है कि जो रहनुमा है...अगर वह औरत है, तो घरेलू औरत नहीं रह सकती...उन्हें लगता है कि इनका आपस में विरोधाभास है।
हालांकि हज़रत फ़ातेमा ज़हरा (सलामुल्लाह अलैहा) ने इन तीनों को (अपनी ज़िंदगी से) अलग नहीं किया।
और अगर उनकी ज़िंदगी पर नज़र डालें तो हम देखते हैं, यह ज़िंदगी जेहाद, संघर्ष, कोशिश, इंक़ेलाबी काम, इंक़ेलाबी सब्र और धैर्य, अनेक लोगों को शिक्षा देने, खुतबे देने, नुबुव्वत, इमामत और इस्लामी सिस्टम की रक्षा में जी जान से जुटने, कोशिश और संघर्ष का एक विशाल सागर है।
आयतुल्लाह खामेनेई
23 नवंबर 2025 - 14:19
समाचार कोड: 1753387
या कुछ लोगों का सोचना है कि जो रहनुमा है...अगर वह औरत है, तो घरेलू औरत नहीं रह सकती...उन्हें लगता है कि इनका आपस में विरोधाभास है।
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