अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के प्रमुख राफेल ग्रोसी ने कहा है कि अमेरिका और इस्राईल के हमलों के बावजूद ईरान की परमाणु विशेषज्ञता खत्म नहीं हुई है, और वह अब भी यूरेनियम संवर्धन की क्षमता रखता है।
फ्रांसीसी अख़बार को दिए एक इंटरव्यू में ग्रोसी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने अपनी सक्रिय कूटनीतिक क्षमता खो दी है, जो बेहद चिंताजनक है।
उनके अनुसार, आज दुनिया भर में जारी संघर्षों में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका लगभग गायब हो चुकी है, और अब विवादों का समाधान उसकी प्राथमिकताओं में शामिल नहीं दिखता। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका दोबारा बहाल हो।
ईरान के परमाणु केंद्रों पर हुए हमलों का ज़िक्र करते हुए ग्रोसी ने बताया कि इस्फहान, नतंज और फ़ोर्डो में गंभीर नुकसान हुआ है, लेकिन ईरान की परमाणु विशेषज्ञता खत्म नहीं हुई, यहां तक कि सेंट्रीफ्यूज मशीनें भी दोबारा बनाई जा सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि ईरान के पास अभी भी लगभग 400 किलोग्राम यूरेनियम है, जो 60% तक संवर्धित है, यानी हथियार-ग्रेड स्तर से थोड़ा कम।
अगर यह सिलसिला जारी रहा, तो ईरान के पास लगभग 10 परमाणु बम बनाने लायक सामग्री होगी। हालांकि उन्होंने साफ कहा कि कोई सबूत नहीं है कि ईरान वास्तव में बम बनाना चाहता है, और इस बात की पुष्टि के लिए फिर से निरीक्षण आवश्यक है।
ग्रोसी ने बताया कि वर्तमान में ईरान सीमित स्तर पर निरीक्षण की अनुमति दे रहा है, लेकिन अगर कूटनीति विफल रही, तो बल प्रयोग की वापसी का खतरा है।
उन्होंने ईरान के रवैये की सराहना करते हुए कहा कि 12 दिन की जंग के बाद भी अगर ईरान चाहता तो विश्व समुदाय से संबंध तोड़ सकता था, परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकल सकता था, और उत्तर कोरिया जैसा देश बन सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। ग्रोसी ने कहा कि वे इस फैसले की कद्र करते हैं।
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