31 जुलाई 2025 - 18:20
इमाम हुसैन (अ.स.) पर रोना बेहतरीन नेकी 

अक्ल इंसान को तीन अहम सवालों की ओर ले जाती है: हम कहाँ से आए हैं? हम कहाँ जा रहे हैं? और हम किस रास्ते पर हैं? जब इंसान इन सवालों पर विचार करता है, तभी वह सत्य और प्रगति की ओर बढ़ता है।

मशहूर आलिमे दीन और खतीब हुज्जतुल इस्लाम वल-मुस्लिमीन सय्यद हुसैन मोमिनी ने इमाम हुसैन (अ.स.) की मुसीबत पर रोने को बेहतरीन नेकी बताते हुए कहा है कि यह काम इंसान को रूहानी बुलंदी और सच्चाई के रास्ते पर ले जाता है।

उन्होंने कहा कि अक्ल ही वह वरदान है जिसने इंसान को बाकी मखलूक पर फ़ज़ीलत दी है और इंसान अक्ल के आधार पर प्रगति करता है, अपने कामों मे आज़ाद बनत है यहाँ तक कि दूसरों का जिम्मेदार भी बन जाता है। 

उन्होंने कहा कि शहीद वास्तव में वे लोग हैं जो साफ सुथरी और पाकीज़ा अक्ल से फायदा उठाते हैं, जिन्होंने अल्लाह के रास्ते में अपनी जान की कुर्बानी दी और कमाल की मंजिल हासिल की। 

उन्होंने आगे कहा कि अक्ल इंसान को तीन अहम सवालों की ओर ले जाती है: हम कहाँ से आए हैं? हम कहाँ जा रहे हैं? और हम किस रास्ते पर हैं? जब इंसान इन सवालों पर विचार करता है, तभी वह सत्य और प्रगति की ओर बढ़ता है।

उन्होंने पैगंबर (स.अ.) की एक हदीस का हवाला दिया और कहा कि पैगंबर (स.अ.) ने कहा, "अपने वाजिबात और फरीज़े को अदा से पहले, ध्यान रखें कि आप इस दुनिया की गुमराही या भ्रम में न उलझ जाओ, और इसका रास्ता कुरान और अहल अल-बैत (अ.स.) से जुड़ाव है।"

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